
नई दिल्ली, 18 अप्रैल (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमलावर है। शुक्रवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि नेशनल हेराल्ड का नाम सुनते ही आज कांग्रेस पार्टी के पूरे इकोसिस्टम में छटपटाहट, कंपकपाहट, धड़धड़ाहड, डगमगाहट और लड़खड़ाहट होने लगती है। ऐसा महसूस होना लाजमी भी है, क्योंकि चोरी करते हुए फिर से पकड़े जो गए हैं। आजादी के बाद आज तक अगर आप कांग्रेस का इतिहास देखेंगे तो एक नहीं बल्कि अनेक घोटाले सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड अपने आप में एक ऐसा मॉडल है, जो किसी के गले नहीं उतर रहा है। नेशनल हेराल्ड नेहरू जी ने 1938 में शुरू किया था, वो चल नहीं पाया। लेकिन एजीएल के लिए ऐसी कौन सी मजबूरी हो गई कि उसको बचाने के लिए यंग इंडिया के नाम से एक कंपनी बनाई गई, और उसमें भी एक परिवार को 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी जाए। जहां एक ओर यंग इंडियंस को बनाने के लिए 50 लाख का लोन भी कांग्रेस ने ही दिया वहीं दूसरी ओर एजीएल पर कांग्रेस का 90 करोड़ का कर्ज है। ये संपत्ति 2 हजार करोड़ की है। दिलचस्प बात ये है कि 2,000 करोड़ की ये संपत्ति मात्र 50 लाख रुपये में यंग इंडिया के नाम हो जाती है। बकाया 89.50 करोड़ रुपये कांग्रेस माफ कर देती है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि अखबार कागज पर छपता है लेकिन कुछ कागजी अखबार भी होते हैं, जो छपते भी नहीं, बिकते भी नहीं, बंटते भी नहीं, दिखते भी नहीं और पढ़े भी नहीं जाते, ये उनमें से एक है। कांग्रेस के राज्यों के मुख्यमंत्री इसके लिए विज्ञापन देते हैं, वो ये विज्ञापन किस आधार पर देते हैं? उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बड़े-बड़े दैनिक अखबारों को जहां चवन्नी मिलती है, वहीं नेशनल हेराल्ड को चांदी के सिक्के मिलते हैं। यह भ्रष्टाचार का कांग्रेस मॉडल है, जहां एक साप्ताहिक समाचार पत्र को दैनिक समाचार पत्रों की तुलना में अधिक धन प्राप्त हो रहा था, भले ही वह कभी प्रकाशित न भी हो रहा हो।
अनुराग ने कहा कि यह मूलतः कांग्रेस पार्टी के लिए एटीएम के रूप में कार्य करता था, जिसमें राज्य सरकारें करदाताओं का पैसा डालती थीं। यह स्वतंत्रता से पहले स्थापित एक अख़बार था, जिसके 1,000 से ज़्यादा शेयरधारक थे। अगर कांग्रेस पार्टी का इरादा ऋण माफ़ करने का था, तो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का ऋण सीधे माफ़ क्यों नहीं किया गया? यंग इंडिया बनाने की क्या ज़रूरत थी, जिसके 76 प्रतिशत शेयर एक ही परिवार के पास थे? कांग्रेस के दो पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षों के पास 36 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जिससे पारदर्शिता और इरादे पर गंभीर सवाल उठते हैं।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
