

अनूपपुर, 13 जनवरी (Udaipur Kiran) । जिले में पिछले दो वर्षो से हाथियों का आतंक बना हुआ हैं। छत्तीसगढ़ से आने वाले हाथियों के झुंड ने आदिवासी बहुल ग्रामों में बैगा और गोंड समुदाय के घरों को निशाना बनाया है। बचने के लिए ग्रामीणों को अपना अनाज और रोजमर्रा की जरूरत का सामान पेड़ों पर टांगकर सुरक्षित रखना पड़ रहा है।
पिछले दो वर्षो से छत्तीसगढ़ से आने वाले हाथियों के झुंड ने अनूपपुर जिले में आतंक से ग्रमीणों में भय की स्थित बनी हैं। इससे ग्रमीण ने अनोखा तीराका अपने हुए अनाज एवं दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्रियों को घर के पास स्थित पेड़ों में रस्सी के सहारे टांग कर रखे हैं। धुरवासिन ग्राम पंचायत के देवलाल बैगा और लालबहादुर सिंह गोंड के परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इन परिवारों के ईंट-मिट्टी से बने कच्चे मकानों को हाथियों ने पिछले दो साल में चार बार तोड़ा है।
हाथी न केवल घरों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि अंदर रखे खाद्य सामग्री को भी खा जाते हैं, जबकि देवलाल बैगा को केवल एक बार सहायता राशि मिली है, वहीं लालबहादुर सिंह को चार बार हुए नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। पिछले 20 दिनों से छत्तीसगढ़ से आए दो हाथी फिर से क्षेत्र में सक्रिय हैं। हाथियों के लगातार हमलों से त्रस्त ये परिवार अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मजबूरी यह है कि वे अपना सारा सामान पेड़ों पर टांगकर रखने को विवश हैं।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
