अनूपपुर, 14 जनवरी (Udaipur Kiran) । जब सूर्य धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। वहीं नई फसल की कटाई तथा सूर्यदेव के दक्षिणायन से उत्तरायण की पौराणिक मान्यताओं में मकर संक्रांति का पावन पर्व पूरे श्रद्धा व हर्षोउल्लास के आरम्भ हुआ।
मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और जरूरतमंदों को दान करने से साधक के भाग्य में वृद्धि होती हैं, साथ ही वंशों पर पितरों की कृपा बनी रहती हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं, जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। यह दिन सूर्य उपासना के लिए उत्तम माना गया है। कहते हैं कि यदि सच्चे भाव से मकर संक्रांति पर सूर्यदेव को जल अर्पित किया जाए, तो जातक की कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत होती है। वहीं भारत में मकर संक्रांति को नई फसल और खिचड़ी का पर्व भी कहते हैं, इस तिथि पर खिचड़ी बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, हालांकि कुछ राज्यों में इसे तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार साल 2025 में मकर संक्रांति पर विष्कुम्भ योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है, इस योग में तिल के लड्डू या तिल के अन्य व्यंजन का प्रसाद वितरण करना लाभकारी होता हैं।
जिले की पवित्र नगरी अमरकंटक के नर्मदा सहित जिला मुख्यालय के सोन-तिपान नदी संगम पर श्रद्धालुओं ने नदियों में आस्था की डुबकी लगाई। जबकि राजेन्द्रग्राम, कोतमा, जैतहरी, राजनगर, बिजुरी सहित अन्य क्षेत्रों से गुजरती नर्मदा, सोन, जुहिला, तिपान, केवई सहित अन्य नदियों के नदीघाटों पर लोगों ने स्नानकर इष्टदेवों की विशेष पूजा अर्चना की। मकरसंक्रांत के अवसर पर जिले के अनेक स्थानों पर मेले का भी आयोजन किया गया है। दोपहर तक हजारों श्रद्धालु अमरकंटक पहुंच कर नर्मदा में डुबकी लगा चुके हैं।
ऐसी मान्यता है कि इसी त्योहार पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं. सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। 14 जनवरी से ही जिले में पर्व की पौराणिक निर्धारित तिथि की महत्ता में मकरसंक्रांत हर्षोउल्लास के साथ शुभारम्भ हुआ। पुराणों के अनुसार मकर संक्राति का पर्व बह्मा, विष्णु, महेश, गणेश सहित आदि शक्ति और सूर्य की उपासना एवं आराधना का पावन व्रत माना जाता है। संत महर्षियों के अनुसार इनके प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है, संकल्प शक्ति बढ़ती है, ज्ञान का विकास होता है। मकर संक्रंति इसी चेतना को विकसित करने वाला पर्व है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में किसी न किसी रूप में आयोजित होता है। जबकि अन्य मान्यताओं में गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इसी दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में मिली थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा-सागर में मेला लगता है।
आस्था, उमंग और उत्साह का पर्व मकर संक्रांति समूचे जिले में उल्लास पूर्वक मनाई जा रही है। संक्रांति के अवसर पर जिले के नर्मदा उद्गम पवित्र नगरी अमरकंटक में अपार भीड़ श्रद्धालुओं की पहुंची। वहीं, जिले के सीतापुर एवं बरगवां में भी मेला सज चुका हैं। जिले की दोनों मेला में पुलिस सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। लोग सुबह से ही दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर बरगवां में पहुंचकर पूजा अर्चना कर रहे हैं। सुबह से ही पावन नगरी अमरकंटक में हजारो श्रदलुओं की भीड़ जुटी रही। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा उद्गम कुंड में डुबकी लगाकर माता नर्मदा का पूजन अर्चन किया। साथ ही तिल-चावल, गुड़ सहित अन्य सामग्रियों का दान दिया। दरअसल अमरकंटक में पर्व की महत्ता एवं मेले में पहुंचने वाली भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं का जत्था एक सप्ताह पूर्व से आने आरम्भ हो गए थे। प्रदेश की जीवनदायिनी नदी मां नर्मदा का उद्गम स्थल होने के कारण इस दिन यहां देश- प्रदेश से हजारों की तादाद में श्रद्धालु एवं पर्यटक पूजा अर्चना के साथ मेला देखने आते हैं। जबकि इस वक्त अमरकंटक में अत्याधिक ठंड पड़ती है, जिसके कारण दूधधारा, कपिलधारा से निकलने वाली दूधिया भाप पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है।
अमरकंटक में श्रद्धालुओं की भीड़
प्रदेश के प्रमुख पर्यटन एवं धार्मिक तीर्थ स्थल पवित्र नगरी अमरकंटक में मकर संक्रांति पर दूरस्थ अंचलों से आए भक्त श्रद्धालुओं तीर्थ यात्रियों ने पावन सलिल मां नर्मदा जी के कोटि तीर्थ घाट, गांधी कुंड, रामघाट, पुष्कर बांध के उत्तर एवं दक्षिण तट के घाट,अरंडी संगम के दोनों तटों पर डुबकी कर दर्शन कर पूजा अर्चन दर्शन किया। दोपहर तक लगभग 50 हजार से भी अधिक श्रद्धालुओं ने नर्मदा में डुबकी लगाई। नर्मदा उद्गम स्थल मंदिर में लाइन लगाकर भक्त श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा जी का दर्शन कर पूजा अर्चन किया। इस दौरान तीर्थ यात्रियों भक्तों ने गरीब असहाय जनों को अनाज तथा तिल की बनी वस्तु का दान किया तथा कई तीर्थ यात्रियों ने खिचड़ी गरीबों को वितरित किया। अनेकों लोगों ने वस्त्र कंबल वितरित किए। हालांकि प्रयागराज में महाकुंभ के चलते इस वर्ष अन्य वर्षो की अपेक्षा कम भीड़ देखी जा रही है। मंदिर परिसर में जाने के लिए लंबी कतार मुख्य प्रवेश द्वार पर बनी हुई हैं। मंदिर के बाहर और मंदिर के अंदर दोनों तरफ हजारों लोगों की भीड़ बनी हुई है। मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे हैं। दिन भर यहां लोगों के आने का सिलसिला बना हुआ है।
गोंगपा सम्मेलन में उमड़ा
मेले का हुआ आयोजन
मकर संक्रांति के अवसर पर अनूपपुर जिले की विभिन्न क्षेत्रों खासकर अमरकंटक में मेला जैसा माहौल बना हुआ है। जबकि जिला मुख्यालय अनूपपुर के सीतापुर गांव में सोन-तिपान संगम पर दो दिवसीय मेले, बरगंवा ग्राम पंचायत, सकरा ग्राम पंचायत सहित अन्य स्थानों पर भी मेले का आयोजन किया गया है।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला