अनूपपुर, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार शनिवार को जिला मुख्यालय अनूपपुर, तहसील कोतमा एवं राजेन्द्रग्राम की व्यवहार न्यायालय सहित 13 खण्डपीठों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जहां लंबित 3036 रेफर प्रकरणों को लोक अदालत मे 499 प्रकरणों निराकण करते हुए लोक अदालत में कुल राशि 1,4369,095 का अवार्ड पारित किया गया। प्रीलिटिगेशन के 5133 प्रकरण में 504 प्रकरणों का निराकरण लोक अदालत के माध्यम किया गया। जिसमें 49,95,655 रुपये की राशि का अवार्ड पारित किया गया। शुभारंभ प्रधान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश / अध्यक्ष पी.सी. गुप्ता द्वारा, माँ सरस्वती जी की प्रतिमा में पुष्प अर्पित कर एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत हेतु जिला न्यायालय अनूपपुर, तहसील सिविल न्यायालय कोतमा एवं राजेन्द्रग्राम सहित 13 खण्डपीठों का गठन किया गया था। जहां 5133 प्रकरण प्री-लिटिगेशन प्रकरण रखे गए थे जिनमें 504 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 49,95,655/- रुपये की राशि अवोंडिड की गई। इसी तरह लोक अदालत में 3036 लबित प्रकरण प्रस्तुत किए गए थे जिनमें 499 प्रकरणों का निराकरण करते हुए राशि 1,4369,095/- रुपये की राशि अवॉडिड की गई।
राष्ट्री य लोक अदालत से तीन परिवारों की लौटी खुशी, आपसी एवं वैचारिक मदभेदों से रही दूरी
संजीव और रोशनी (परिवर्तित नाम) का विवाह वर्ष 2020 में हुआ था। और वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे थे। कुछ आपसी एवं वैचारिक मदभेदों के कारण दोनों अलग हो गए। और न्यायालय में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 09 अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रकरण को 14 सितम्बर को आयोजित नेशनल लोक अदालत में रखा गया, जिसमें खण्डपीठ क्रमांक 01 के पीठासीन अधिकारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी.सी. गुप्ता ने दोनों पक्षकार को समझाईश दी गई एवं अधिवक्ता केए प्रसाद द्वारा भी उन्हें समझाने का प्रयास किया गया जिसके फलस्वरूप वह दोनों एक हो गए एवं राजी खुशी अपने एक साथ घर गए।
आठ माह से अलग रह रहें, मनमुटाव का अंत
विशाल और नेहा(परिवर्तित नाम) का विवाह वर्ष 2023 में हुआ था। परन्तु 15 मई 2024 को आपसी मनमुटाव के कारण अलग हो गए और बात इतनी आगे बढ़ गई कि उन्होंने धारा 10 अंतर्गत विवाह विच्छेद हेतु अपना प्रकरण न्यायालय में दर्ज करा दिया परन्तु 14 सितम्बर की राष्ट्री य लोक अदालत की खण्डपीठ क्रमांक 01 के पीठासीन अधिकारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी गुप्ता एवं अधिवक्ता केए प्रसाद द्वारा समझाईश देने पर पति पत्नि एक दूसरे का सम्मान करते हुए राजीनामा हो गया और एक साथ अपने घर गए।
पारिवारिक मतभेद का हुआ निराकरण
अजय और प्रीति (परिवर्तित नाम) का विवाह वर्ष 2022 में हुआ और कुछ पारिवारिक मदभेदों के कारण दोनों अलग हो गए थे। और न्यायालय में धारा 125 दण्डप्रक्रिया संहिता अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत कर दिया। परन्तु आज की राष्ट्री य लोक अदालत में खण्डपीठ क्रमांक 01 के पीठासीन अधिकारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा दोनों को सुलह हेतु समझाईश देते हुए खुशहाल जीवन व्यतीत करने की सलाह दिया गया, इससे दोनों एक साथ राजीखुशी से रहने के लिए तैयार हो गए।
वरिष्ट नागरिक ने दिखाया बढ़प्पन
न्यायालय में लंबित सिविल अपील बी सूट का निराकरण राष्ट्री य लोक अदालत के माध्यम से किया गया। प्रकरण में अनावेदन को 19,00,000/-रुपये देना था। परन्तु आवेदक वरिष्ठ नागरिक ने उक्त राशि को कम करते हुए 14,50,000/- रुपयें में समझौता करने राजी हुए।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला