Madhya Pradesh

अनूपपुर: बाल अधिकार संरक्षण आयोग को सेंट जोसेफ स्कूल बिजुरी निरीक्षण में मिली कमियां

फाईल फोटो विद्यालय व निरीक्षण में मिले मांस

अनूपपुर, 21 अप्रैल (Udaipur Kiran) । मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह एवं डॉ. निवेदिता शर्मा द्वारा 29 मार्च को अनूपपुर में विभागीय अधिकारियों के साथ समन्वय/समीक्षा बैठक में बिजुरी में संचालित सेंट जोसेफ मिशन स्कूल का निरीक्षण कर स्कूल की शैक्षणिक व्यवस्थाओं, शैक्षणिक गुणवत्ता, बाल अधिकारों का अनुपालन एवं बच्चों के अधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन कर संबंधित संस्थान की पारदर्शिता का विश्लेषण किया गया। निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों को लेकर आयोग ने कलेक्टर को रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

निरीक्षण में पाया आवासीय स्कूल की नहीं है मान्यता

मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा हैं कि सेंट जोसेफ स्कूल, सी.बी.एस.ई से मान्यता प्राप्त है, परन्तु स्कूल को राजकीय शिक्षा केन्द्र से आवासीय स्कूल की मान्यता प्राप्त नहीं है। लेकिन निरीक्षण के समय स्कूल में छात्र-छात्राओं हेतु छात्रावास का संचालित होना पाया गया। स्कूल प्रबंधन द्वारा सी.बी.एस.ई. बोर्ड को गुमराह करते हुए यह जानकारी दी गई है कि उनके स्कूल को आवासीय स्कूल की मान्यता प्राप्त है।

छात्रों की संख्या से नहीं कराया गया अवगत

रिपोर्ट में कहा गया हैं कि स्कूल परिसर में संचालित बालक छात्रावास में 40 बालक एवं बालिका छात्रावास में 20 बालिकाएँ उपस्थित पायी गई, इसके अतिरिक्त छात्रावास में अन्य बालक-बालिकाएँ भी निवासरत है, जो कि निरीक्षण के समय अपने घर गये हुए थे। स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रावास में रहने वाले कुल बालक-बालिकाओं की संख्या से आयोग को अवगत नही कराया गया ।

छात्रों से ली जाती है मोटी रकम नहीं दी जाती कोई रसीद

छात्रावास में निवासरत बालक-बालिकाओं से बातचीत करने पर ज्ञात हुआ कि छात्रों से लगभग सत्तर हजार से एक लाख बीस हजार तक की वार्षिक राशि छात्रावास शुल्क के रूप में ली जाती है, लेकिन इसकी किसी भी प्रकार की रसीद स्कूल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध नहीं करायी गई। स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रावास में निवासरत बालक-बालिकाओं के प्रवेश संबंधी एवं उनके पहचान संबंधी दस्तावेज़ उपलब्ध नही कराये गये।

मनमानी शुल्क वसूली पर जवाब नहीं

स्कूल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराये गये फीस-स्ट्रक्चर में छात्रावास शुल्क का उल्लेख नही किया गया है साथ ही स्कूल की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में भी छात्रावास शुक्ल का उल्लेख नही किया गया है। स्कूल प्रबंधन द्वारा वर्ष 1998 से वर्ष 2025 तक के छात्रावास में प्रवेशित छात्र-छात्राओं की जानकारी, छात्रों द्वारा भुगतान की गई छात्रावास शुल्क की राशि एवं इस राशि को व्यय किये जाने के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नही करायी गई।

जानकारी को छुपाने का प्रयास

स्कूल द्वारा संचालित किये जा रहे छात्रावास में कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी प्रबंधन द्वारा उपलब्ध नहीं करायी गई ।स्कूल की मान्यता आवेदन के प्रारूप-1 में भी छात्रावास से संबंधित मदों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रावास में निवासरत छात्रों से प्राप्त की जाने वाली राशि को छात्रों के हित में व्यय ना करते हुए किसी अन्य कार्य में उपयोग किया गया, जो कि स्कूल द्वारा सी.बी.एस.ई को दिए गए शपथ-पत्र में उल्लेखित कंडिका का उल्लघंन है।

फ्रिज में मिला कई प्रकार का मांस

स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रावास में निवासरत छात्र-छात्राओं हेतु भोजन व्यवस्था सहःशुल्क की जाती है। स्कूल में अधिकांश छात्र शाकाहारी है परन्तु निरीक्षण के समय यह पाया गया कि खाद्य साम्रगी भण्डार हेतु किचन के फ्रिज में विविध प्रकार का मांस पाया गया, यह शाकाहारी छात्रों के हित में उचित नहीं है। छात्रावास में छात्रों हेतु स्थापित कक्ष में उनके अध्ययन हेतु पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं है।

कोयला खदान पर संचालित है विद्यालय

स्कूल भवन का निर्माण एस.ई.सी.एल. की भूमि पर कराया गया हैं जिसे प्रबंधन ने परिसर खाली कराने के संबंध में नोटिस भी जारी किया है। भवन का निमार्ण बच्चों की सुरक्षा के संबंध में उचित नहीं है। स्कूल द्वारा ट्रांसपोर्ट फेसीलिटी अन्तर्गत वाहन का संचालन भी किया जाता है। वाहन चालकों/परिचालकों की जानकारी एवं पुलिस वेरीफिकेशन उपलब्ध नहीं कराये गये। स्कूल प्रबंधन द्वारा आर.टी.ई. अन्तर्गत अध्ययनरत छात्रों की जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गई।

आयोग ने कार्यवाही के दिये निर्देश

निरीक्षण के उपरांत मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अनूपपुर कलेक्टर को रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कार्यवाही करने के निर्देश करते हुए कहा हैं कि विद्यालय की मान्यता की समीक्षा करें। विद्यालय द्वारा आवासीय विद्यालय के रूप में संचालन किया जा रहा है, किंतु उसके लिए आवश्यक मान्यता प्राप्त नहीं है, अतः सी.बी.एस.ई. एवं राज्य शिक्षा केन्द्र (शिक्षा विभाग) द्वारा तत्काल विद्यालय की मान्यता की समीक्षा की जानी चाहिए ।छात्रावास संचालन पर रोक जब तक छात्रावास हेतु वैधानिक अनुमति, समुचित आधारभूत संरचना, रिकॉर्ड एवं सुरक्षा मानकों की पुष्टि नहीं होती, तब तक छात्रावास संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।

वित्तीय अनियमितताओं की जाँच

छात्रावास शुल्क की वसूली बिना रसीद एवं ऑडिट रिपोर्ट में उसके उल्लेख के बिना किया जाना वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। इस विषय में संबंधित विभाग द्वारा विस्तृत ऑडिट एवं जांच की जाए।

आर.टी.ई. के प्रावधानों की अनदेखी

रिपोर्ट में कहा गया हैं कि विद्यालय द्वारा आर.टी.ई. अधिनियम के अंतर्गत अध्ययनरत छात्रों की जानकारी उपलब्ध नहीं कराना चिंताजनक है। शिक्षा विभाग को निर्देशित किया जाए कि वह इस संबंध में विस्तृत जानकारी संकलित कर आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहियें। साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस विभाग तथा बाल कल्याण समिति द्वारा समन्वित रूप से एक उच्चस्तरीय जाँच कर आगामी कार्यवाही की जाए। विगत वर्षों में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा विद्यालय में समय-समय पर किए गए निरीक्षणों की प्रतिवेदनों की समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि बिना आवश्यक अनुमति के छात्रावास संचालन जैसी गंभीर अनियमितता को कैसे अनदेखा किया गया। छात्रावास की उपस्थिति दर्ज नहीं की गई हो, तो यह प्रशासनिक लापरवाही मानी जानी चाहिए एवं संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच की जायें। आयोग की रिर्पोट पर जिला प्रशासन सेंट जोसेफ स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध क्या निर्णय लेता हैं यह देखना होगा।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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