HEADLINES

प्रधानपाठक की आत्महत्या मामले में पूर्व वन मंत्री मो. अकबर की अग्रिम जमानत खारिज

पूर्व वन मंत्री मो. अकबर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

बालोद/रायपुर, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । बालोद जिले के डौंडी ब्लाक के प्रधानपाठक देवेंद्र ठाकुर की आत्महत्या मामले में आरोपित कांग्रेस नेता व पूर्व वन मंत्री मो. अकबर की अग्रिम जमानत याचिका बुधवार को सत्र न्यायाधीश एस एल नवरत्ने ने खारिज कर दी। सत्र न्यायालय में मोहम्मद अकबर ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। ओडगांव प्राथमिक विद्यालय के 57 साल के प्रधान पाठक देवेंद्र ठाकुर ने 3 सितंबर को खुदकुशी कर ली थी। इस घटना के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी। सुसाइड में उन्होंने कई लोगों के नाम का जिक्र किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि वन विभाग में कई पदों पर नौकरी लगवाने के नाम पर पैसों की ठगी की गई है। इतना ही नहीं शिक्षक ने कई लोगों पर ठगी का आरोप भी लगाया था। इसकी शिकायत डौंडी थाने में की गई थी।देवेंद्र के सुसाइड नोट में अकबर व तीन अन्य लोगों के नाम थे।

पूर्व मंत्री ने जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। वन विभाग में नौकरी लगाने के नाम पर 75 लोगों से 3.70 करोड़ की ठगी हुई है। पैसे नहीं लौटा पाने के बाद तीन सितंबर को देवेंद्र ठाकुर ने आत्महत्या कर ली थी। सत्र न्यायाधीश एसएल नवरत्न ने कहा कि मामला गंभीर है। आरोपित को जमानत दी जाती है तो साक्ष्य को प्रभावित कर सकता है।

न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कहा है कि मामला गंभीर प्रकृति का है तथा विवेचना के प्रारंभिक स्तर पर है ।आवेदक को अग्रिम जमानत का लाभ दिए जाने पर साक्ष्य को प्रभावित किए जाने के संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है ।अतः मामले के तथ्यों पर स्थितियों को देखते हुए आवेदक को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है । फलतः मोहम्मद अकबर की ओर से प्रस्तुत आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 482 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता निरस्त किया जाता है। कोर्ट ने जमानत आवेदन को खारिज करते हुए अपने फैसले में लिखा कि केस डायरी के अवलोकन से स्पष्ट है कि जप्ती पत्रक में उल्लेख किया गया है कि मृतक के फुल पैंट के दाहिने जेब में सुसाइड नोट मिला। जिसमें मृतक की मौत के लिए हरेंद्र नेताम मदार खान उर्फ सलीम खान, प्रदीप ठाकुर एवं पूर्व वन मंत्री मोहम्मद अकबर को जिम्मेदार होना बताया गया है। अभिलेख पर आए अन्य साक्ष्य से भी प्रथम दृष्टि या आवेदक की संलिप्त दर्शित होती है मामले में विवेचना शेष है। आवेदक की ओर से प्रस्तुत न्याय दृशांत के तत्व एवं परिस्थितियों वर्तमान मामले से भिन्न होने से उनका लाभ आवेदन आवेदक को प्रदान नहीं किया जा सकता है।

अपने जमानत आवेदन में पूर्व मंत्री अकबर ने शपथ पत्र के साथ कोर्ट को जानकारी दी है कि उसने इसके पूर्व किसी भी अदालत एवं सक्षम न्यायालय में सक्षम जमानत के लिए कोई भी आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है ना ही लंबित है और ना ही खारिज हुआ है। वह एक सामान्य नागरिक है और छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे हैं। आवेदक का प्रकरण में नाम केवल मृतक के सुसाइड नोट में शामिल होने के कारण उन्हें इस गंभीर अपराध का आरोपित बनाया गया है जबकि इस घटना से किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। भारतीय न्याय संहिता बीएस की धारा 108 एवं 35 के तहत अभियोग लगाए हैं। यह अभियोग मात्र इस आधार पर लगाए गए हैं की मृतक में सुसाइड नोट में आवेदन का नाम उल्लेख किया है ।इस सुसाइड नोट के परीक्षण से स्पष्ट होता है कि ना तो सुसाइड नोट में लिखने वाले का नाम है, ना ही हस्ताक्षर है और ना ही उक्त नोट में तारीख या समय अंकित किया गया है। उसका ना तो मृतक से कोई व्यक्तिगत संबंध रहा है और ना ही मृतक से कभी मिले हैं और ना ही वह मामले में अन्य तीन आरोपितों को जानते हैं और ना ही आवेदक का उनसे किसी भी प्रकार का कोई संबंध है। उन्हें जानबूझकर झूठे आरोपों में फंसाया गया है ताकि उनके नाम और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा सके ।पुलिस द्वारा हस्तलेख विशेषज्ञ की राय के बिना फिर दर्ज की गई है।उन्होंने कहा कि वह प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति होने के साथ-साथ समाजसेवी भी है और यदि उन्हें इस प्रकार में गिरफ्तार किया जाता है उसे न केवल उनके सामाजिक प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति होगी बल्कि उनकी पारिवारिक और सार्वजनिक जीवन में भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। फिलहाल उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है ।

(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा

Most Popular

To Top