
जयपुर, 2 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने लोक सेवक पर हमला करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में अंता विधायक कंवर मीणा को मिली तीन साल की सजा को रद्द करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने कंवरलाल की रिवीजन याचिका को खारिज करते हुए उन्हें तुरंत निचली अदालत में सरेंडर करने को कहा है। अदालत ने कहा कि यदि अभियुक्त सरेंडर नहीं करता तो निचली अदालत उसके गिरफ्तारी वारंट जारी करे।
जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने यह आदेश कंवरलाल मीणा की रिवीजन याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक निष्पक्ष लोक सेवक जब प्रतिकूल हालात में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना कर्तव्य निभा रहा था, तब अभियुक्त ने करीब तीन सौ लोगों की भीड़ को उकसाते हुए रिपोल की मांग करते हुए उसकी कनपटी पर पिस्तौल तान दी। इस प्रकार के अपराध से न केवल कानून व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि लोक सेवकों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है।
रिवीजन याचिका में कहा गया कि घटना के दो दिन बाद काल्पनिक तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट दी गई है। निचली अदालत में सभी लोक सेवक पक्षद्रोही हुए हैं। वहीं उसे राजनीतिक द्वेषता के चलते प्रकरण में फंसाया गया है। इसलिए निचली अदालत के दोषसिद्धी आदेश को रद्द किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील विवेक चौधरी व परिवादी के अधिवक्ता एसएस होरा ने कहा कि घटना के समय याचिकाकर्ता आपराधिक किस्म का व्यक्ति था और उस पर 15 प्रकरण दर्ज थे। अभियुक्त के भय व आतंक के कारण पुलिसकर्मी व लोक सेवक उसके खिलाफ बयान देने की स्थिति में नहीं थे। यहां तक की पुलिस के मौके पर मौजूद होने के बावजूद रिपोर्ट तक नहीं की गई। वहीं अभियुक्त के स्थानीय इलाके में मौजूद होने के बावजूद तीन साल तक उसे गिरफ्तार भी नहीं किया गया। इससे पुलिस की लाचारी साफ नजर आती है। इसके अलावा तत्कालीन प्रशिक्षु आईपीएस व तहसीलदार ने अभियुक्त के खिलाफ बयान दिए हैं। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त विधायक की रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया है।
मामले के अनुसार अकलेरा के तत्कालीन एसडीओ रामनिवास मेहता ने 5 फरवरी, 2005 को स्थानीय कलेक्टर को पत्र लिखा कि 3 फरवरी को मनोहर थाना के पास गांव के लोक खाताखेडी के उपसरपंच के चुनाव का रिपोल कराने को लेकर रास्ता रोक रहे थे। इस दौरान वह और प्रशिक्षु आईपीएस सहित अन्य स्टाफ समझाइश कर रहा था। इतने में कंवरलाल अपने साथियों के साथ वहां आया और उसके सिर पर रिवाल्वर लगाकर दो मिनट में रिपोल की घोषणा नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दी। इस दौरान उसने विभाग की ओर से कराई गई वीडियोग्राफी की कैसेट भी तोडकर जला दी। घटना के समय दो थानाधिकारी व एक आरपीएस भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने विरोध नहीं किया। कलेक्टर की ओर से इस पत्र को एसपी को भेजने के बाद 9 फरवरी को पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। वहीं बाद में निचली अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया। एसीजेएम, मनोहर थाना ने 2 अप्रैल, 2018 को कंवरलाल को बरी कर दिया। इसके खिलाफ परिवादी और राज्य सरकार की अपील पर एडीजे कोर्ट, अकलेरा ने 14 दिसंबर, 2020 को कंवरलाल को तीन साल की सजा के साथ 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। इसके खिलाफ पेश रिवीजन पर हाईकोर्ट ने 19 अक्टूबर, 2023 को सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके अलावा गत 17 अप्रैल को अदालत ने सभी पक्षों को सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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(Udaipur Kiran)
