जयपुर, 21 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती-2022 में उत्तरप्रदेश के निजी विश्वविद्यालय से डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को चयन के बाद नियुक्ति नहीं देने पर राज्य सरकार और कर्मचारी चयन बोर्ड से जवाब तलब किया है। अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि चयन के बाद भी इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति क्यों नहीं दी गई। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश मनोहर लाल व अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से वर्ष 2022 में प्राथमिक शिक्षक भर्ती निकाली गई। जिसमें द्विवर्षीय डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए। याचिकाकर्ताओं ने भाग लिया और उनका चयन हो गया। वहीं दस्तावेज सत्यापन के दौरान उन्हें यह कहते हुए प्रोविजनल कर दिया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की ग्लोकल विश्वविद्यालय से यह डिप्लोमा किया है। याचिका में कहा गया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने उनकी नियुक्ति के लिए विभाग को अपनी सिफारिश भी भेज दी, लेकिन राज्य सरकार ने पद सुरक्षित रखे बिना उन्हें अस्थायी सूची में डाल दिया। याचिका में कहा गया कि उन्होंने अधिनियम के जरिए स्थापित निजी विश्वविद्यालय से डिप्लोमा किया है। यह विश्वविद्यालय एनसीटीई से मान्यता प्राप्त भी है। इसके अलावा कानूनी प्रावधानों के अनुसार विश्वविद्यालय को डिग्री और डिप्लोमा जारी करने का अधिकार है। याचिकाकर्ता चयनित अभ्यर्थी हैं। यदि विभाग ने सभी पदों पर अन्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी तो याचिकाकर्ता नियुक्ति से वंचित रह जाएगें। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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(Udaipur Kiran)