


लखीमपुर खीरी, 25 अप्रैल (Udaipur Kiran) । आधुनिक मस्तिष्क शल्य चिकित्सा में दर्जनों उपलब्धियां हासिल कर चुके भारत के प्रमुख न्यूरो और स्पाइनल सर्जन डॉ ईश्वर चन्द प्रेम सागर शुक्रवार को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा आयोजित मेटाबोलोमिक्स राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने मेडिकल काॅलेज देवकली खीरी पहुंचे,जहां प्रधानाचार्य डॉ. वाणी गुप्ता ने स्वागत व अभिनन्दन किया। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ ईश्वर चन्द प्रेम सागर ने आधुनिक ब्रेन टयूमर सर्जरी, स्पाइनल सर्जरी, एंडोस्कोपिक ब्रेन सर्जरी, इमेज गाइडेड न्यूरो सर्जरी, न्यूरो नैविगेशन जैसी आधुनिक तकनीक पर किये गये कार्य के अपने अनुभव और विचार साझा किये।
उन्होंने सन् 1975 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर जनरल सर्जरी व न्यूरो सर्जरी की डिग्री केजीएमयू लखनऊ से प्राप्त कर अमेरिका यूके, यूएसए व यूएई में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वर्तमान समय में वह राजीव गांधी कैंसर इन्स्टीट्यूट रोहिणी दिल्ली में कार्यरत है। उन्होंने गिटार बजाते हुए मरीज की ब्रेन सर्जरी करके भी चिकित्सा क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। आधुनिक चिकित्सा व तकनीेक को गीता के उपदेशों के माध्यम से समझाया। बड़ी ही सहजता से आधुनिक चिकित्सा व प्राचीन ग्रन्थों के ज्ञान को जोड़ते हुए अपनी उपलब्धियों के बारे में बताया।
भारत के प्रमुख न्यूरो और स्पाइनल सर्जन डॉ ईश्वर चन्द प्रेम सागर जो गाना सुनते हुए इन्सान के दिमाग की सर्जरी कर चुके हैं। रीवा से आयी एक डेलीगेट ने सवाल किया कि जब उन्होंने ऐसी एडवांस सर्जरी कैसे कर ली थी। जिस पर उनके द्वारा बताया गया कि खोपड़ी खोलने के बाद दिमाग के टिशु में दर्द नहीं होता है व इंटरवेंशनल फिजियोलॉजिस्ट यह देखते रहते हैं कि ब्रेन का कौन सा हिस्सा काम कर रहा है। जब वह मेटाबोलोमिक्स राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करने पहुंचे तो किसी को भी यह अन्दाजा नहीं था कि एक चर्चित व प्रख्यात न्यूरो और स्पाइनल सर्जन गीता के ज्ञान को इतनी अधिक प्रमुखता देते हैं। स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर उन्होंने टाइट जीन्स सिन्ड्रोम के बारे में चेतावनी दी है, जिसमें उन्होंने बताया है कि अत्यधिक टाइट कपडे़ पहनने से पेट के निचले हिस्से की नसों पर दबाव पड़ सकता है। जिससे सुन्नता और जलन जैसी समस्या हो सकती है। सम्मेलन के शीर्षक मेटाबोलोमिक्स स्वस्थ जीवन शैली पर बोलते हुए कहा कि हमें अपने मन को स्वस्थ रखना चाहिए, जिससे तन भी स्वस्थ रहता है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर उन्हाेंने बताया कि इसके होने के वैसे ताे कई कारण है परन्तु मांसाहारी लोगों में ऐसा होने की अधिक सम्भावना पाई गयी है। आधुनिक चिकित्सा विधियों में इसका आज काफी हद तक उपचार सम्भव है, परन्तु सही मायने में इसे होने से कैसे रोका जा सके, इसका कोई खास जवाब मौजूद नहीं है, परन्तु हमारे प्राचीन ग्रन्थों में इसका जवाब मौजूद है जो कि हमारी आज के इस सम्मेलन की थीम जैसा ही है।
थीम जीवन शैली पर रखने के पीछे एक खास उद्देश्य
राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर डॉ. वाणी गुप्ता ने बताया कि इस सम्मेलन की थीम जीवन शैली को रखने के पीछे का एक खास उद्देश्य भी है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी को निरोगी बनाया जा सकता है। उन्होंने अनुवांशिकी आणविक फिजियोलॉजी मेटाबोलिक्स सिंड्रोम को लेकर रिसर्च किया है। 2001 से लेकर वर्तमान समय तक अपनी चिकित्सकीय सेवाओं के दौरान करीब 24 वर्षों को एक बहुआयामी अनुभव प्राप्त हुआ है जो आज किसी न किसी रूप में हमारे देश व आम जनमानस सहित विदेश के काम आ रहा है। उनके द्वारा शिक्षित कई छात्र/छात्राएं देश सहित विदेशों में भी अपनी सेवाएं देकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
सम्मेलन के तीसरे दिन मुख्य वक्ताओं के रूप में केजीएमयू लखनऊ से डाॅ. निशा मनी व आकांक्षा पाण्डेय, रिटायर्ड सीएमओ आगरा डॉ. बीआर गौतम, रिवा मेडिकल काॅलेज से डाॅ अरूणा सहित योगा आचार्य सिद्धार्थ मौजूद रहे। प्रधानाचार्य डॉ. वाणी गुप्ता ने सम्मेलन में सहयोग व सहभागिता करने वाली सभी संस्थाओं व लोगों का धन्यवाद किया।
(Udaipur Kiran) / देवनन्दन श्रीवास्तव
