Gujarat

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए आणंद के शिक्षक विनयभाई पटेल का चयन

आणंद के वडदला गाँव के हाईस्कूल में 16 वर्षों से आचार्य के रूप में सेवा दे रहे शिक्षक विनय शशिकांत पटेल
शिक्षक विनय शशिकांत पटेल

-हाईस्कूल में विकसित किया आयुर्वेदिक औषधीय बाग

– स्कूल के किसी भी कार्यक्रम में सिंगल यूज प्लास्टिक को ‘नो एंट्री’

– गरीब बेटियों के लिए स्कूल में कक्षा 11-12 शुरू कराई

– दिव्यांग बालिका ने खेल महाकुंभ में जिले में पहला स्थान हासिल किया

अहमदाबाद, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । “मैंने ग्रामीण क्षेत्र का स्कूल इसलिए चुना, ताकि मुझे यहां सुदूरवर्ती-दूरदराजी बच्चों की सेवा करने का अवसर मिले। मुझे आचार्य के रूप में कार्य करने की स्वतंत्रता मिलेगी। इस कारण मैंने यह जॉब स्वीकार की। आज यहां हाईस्कूल में आयुर्वेदिक औषधीय बाग है, डिजिटल लाइब्रेरी तथा स्मार्ट क्लासरूम है और हाईस्कूल में होने वाले किसी भी कार्यक्रम में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाता है।” यह विचार आणंद के वडदला गांव के हाई स्कूल में 16 वर्ष से आचार्य के रूप में सेवा दे रहे शिक्षक विनय शशिकांत पटेल के हैं, जिनका राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए चयन हुआ है।

सप्ताह में एक बार लाइब्रेरी जाना अनिवार्य

हाई स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए तत्पर विनयभाई ने विद्यालय की ढांचागत सुविधाओं को विकसित करने के लिए काफी प्रयास किए है। उनके स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विनयभाई ने कहा, “हमारे हाईस्कूल में हाल में बहुत ही सुंदर लाइब्रेरी है, जो अच्छी से अच्छी पुस्तकों व डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित है। इसमें इंटरनेट कनेक्शन भी है, जिससे बच्चे पर्याप्त पढ़ाई कर सकें। यहां बच्चों के साथ गांव के पठन प्रेमी लोग भी पुस्तकें पढ़ने आते हैं। हमने ऐसी व्यवस्था की है कि बच्चों को सप्ताह में कम से कम एक बार तो लाइब्रेरी में आना ही होता है।”

स्कूल में औषधीय बाग, करुणा अभियान में करते हैं सेवा कार्य

विनयभाई करुणा अभियान भी चला रहे हैं। इसके अंतर्गत उत्तरायण के दौरान गांव की गलियों में बच्चों को साथ ले जाकर पतंग की उलझी डोर इकट्ठा करवाते हैं, जिससे पक्षियों को हानि न हो। पर्यावरण संरक्षण कार्य के साथ 1996 से जुड़े हुए विनयभाई कहते हैं, “जो पेड़ लगाए गए हैं, वहाँ उससे जुड़ी जानकारी के चार्ट भी रखे गए हैं, ताकि बच्चों को उसके बारे में जानकारी मिले। उन्होंने बताया कि पर्यावरण का जतन बहुत जरूरी है और इसलिए हमारे स्कूल में किसी भी कार्यक्रम में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है।” उन्होंने बताया कि बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ प्रकृति के प्रति समन्वय एवं सेवा भावना जगाने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियां की जाती हैं। स्कूल में आयुर्वेद की औषधियों में उपयोगी पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इस कार्य में बच्चे उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।

स्मार्ट क्लासरूम गांवों के विद्यार्थियों के लिए वरदान

विनयभाई कहते हैं, “सरकार ने स्मार्ट क्लासरूम की जो भेंट दी है, वह गांव के विद्यार्थियों के लिए वरदान स्वरूप है। इससे बच्चों को बहुत ही अच्छे ढंग से शिक्षा दी जा सकती है। लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ हमारे बच्चे पढ़ें, यह बहुत ही आवश्यक है। सरकार के शुरू किये गये शाला प्रवेशोत्सव भी बच्चों की शिक्षा के लिए बहुत सफल सिद्ध हुआ है।

गांव की बेटियां अब कॉलेज तक पहुँचीं, दिव्यांग बेटी जिला खेल महाकुंभ में अव्वल

वडदला गांव की स्थिति के बारे में विनयभाई ने कहा, “यहाँ आने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से आते हैं। शुरुआत में यहाँ कक्षा 8 से 10 तक शिक्षा की सुविधा थी। दसवीं कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए बेटियों को दूर भेजने में परिजनों को अनुकूलता नहीं रहती थी। इस स्थिति को देखते हुए हमने सरकार के समक्ष मांग रखी और यहाँ विशेष मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2013 से कक्षा 11 व 12 शुरू हुई। अब गाँव की बेटियाँ हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी कर कॉलेज तक पहुँच गई हैं। एक दिव्यांग बालिका ने यहाँ खेल-कूद में पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त करके खेल महाकुंभ में आणंद जिले में पहला स्थान पाया है। मुझे विश्वास है कि वह भविष्य में राज्य स्तर पर भी शीर्ष पर रहेगी।”

(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय

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