Bihar

ऊसर भूमि सुधार के लिए डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा की एक पहल

क़ृषि अनुसन्धान केंद्र पूसा

समस्तीपुर, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । क़ृषि विज्ञान केन्द्र बिरौली के प्रभारी डॉ आर के तिवारी ने (Udaipur Kiran) से बातचीत में मंगलवार को बताया कि जिले में कर्पूरी ग्राम स्थित ऊसर भूमि जो नित्यानंद ठाकुर की थी उस पर कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के द्वारा पहल किया गया । शुरुआत में कुछ सुधार कर धान की एक प्रजाति सी एस आर ४६ का प्रत्यक्षण किया गया। यह प्रजाति भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित किया गया है।

डॉ तिवारी ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी सहयोग से धान का प्रत्यारोपण किया गया जिसमें निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय डॉक्टर मधुसूदन कुंडू, वस्तु विषय विशेषज्ञ फसल सुरक्षा कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली सुमित कुमार सिंह एवं वरिष्ठ तकनीकी सहायक विद्यापति चौधरी आदि मौजूद थे। सीएसआर 46 एक नमक सहिष्णुता धान की किस्म है जिसे 2016 में करनाल के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है।

उन्होंने बताया कि यह एक मध्यम पतली किस्म है जो सामान्य और लवणीय मिट्टी दोनों में अच्छी तरह से विकसित हो सकती है और विशेष रूप से बंजर भूमि के लिए उपयुक्त है । इस प्रभेद की उपज क्षमता बंजर भूमि में 46 कुंतल प्रति हेक्टेयर और सामान्य भूमि में इससे अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। यह जानकारी

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / त्रिलोकनाथ उपाध्याय / गोविंद चौधरी

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