प्रयागराज, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिन्दू पौराणिक कथाओं में बलात्कार का उदाहरण देने के मामले में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ जितेंद्र कुमार को अंतरिम अग्रिम जमानत दी है। उनके खिलाफ 2022 में फॉरेंसिक मेडिसिन की कक्षा के दौरान हिन्दू पौराणिक कथाओं में बलात्कार के उदाहरणों का कथित रूप से उल्लेख करने को लेकर एफआईआर दर्ज है।
जस्टिस विक्रम डी. चौहान की पीठ ने उन्हें राहत देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी ने मामले की जांच की थी और 3 प्रोफेसरों और 01 सहायक रजिस्ट्रार की समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि आवेदक ने वास्तव में गलती की है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “जब कोई शिक्षक कक्षा में पढ़ा रहा हो, हालांकि मापदंडों के भीतर विषय को पढ़ाया जाना चाहिए और उसने सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तक का हवाला देकर ऐतिहासिक संदर्भ दिए हैं तो इस न्यायालय को प्रथम दृष्टया लगता है कि यह नहीं कहा जा सकता कि शिक्षक ने जान बूझकर धार्मिक भावनाओं के आधार पर सार्वजनिक शांति और सौहार्द को भंग करने का प्रयास किया।“
इस आधार पर न्यायालय ने उन्हें उनके आवेदन पर अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित अगली तिथि तक अंतरिम अग्रिम जमानत प्रदान की। यह राहत इस शर्त के अधीन दी है कि वे वर्तमान मामले के लम्बित रहने के दौरान यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद द्वारा अनुमोदित किए जाने तक धार्मिक अर्थ वाले कोई भी ऐतिहासिक संदर्भ नहीं देंगे।
मामले के अनुसार प्रोफेसर कुमार जिन्हें अप्रैल 2022 में यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा निलंबित कर दिया गया (2023 में बहाल कर दिया गया था) पर कथित तौर पर देवताओं से जुड़े विभिन्न हिन्दू पौराणिक उदाहरणों का संदर्भ देकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया। यह दर्शाने के लिए कि बलात्कार अनादि काल से मौजूद है।
एएमयू के पूर्व स्टूडेंट और बीजेपी कार्यकर्ता निशित शर्मा की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ धारा 153ए, 295ए, 298 और 505(2) भादंसं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना था कि उनका धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। बलात्कार विषय यूनिवर्सिटी के कोर्स के साथ-साथ नेशनल मेडिकल कमीशन के कोर्स (स्नातक मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए) में भी शामिल है। अदालत के समक्ष उनके वकील ने दो पुस्तकों का हवाला दिया बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय भाग-8’ (पृष्ठ 176 और 302) और ’ब्रह्म वैवर्त पुराण’ (गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, पृष्ठ 183) इस दावे का समर्थन करने के लिए कि उनके संदर्भ शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल ऐतिहासिक सामग्री पर आधारित है।
यह भी तर्क दिया गया कि यूनिवर्सिटी की फैक्ट फाइंडिंग जांच में यह नहीं पाया गया कि उन्होंने हिन्दू पौराणिक कथाओं का कोई जानबूझकर संदर्भ दिया। जैसा कि अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया। दूसरी ओर सरकारी वकील ने विरोध किया और प्रस्तुत किया कि यद्यपि बलात्कार का विषय पाठ्यक्रम में था। लेकिन कोर्स में किसी भी ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का कोई संदर्भ नहीं था। कोर्ट ने यह पाते हुए कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है, राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। मामले को आगे की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 20 सितम्बर की तारीख तय किया है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे