RAJASTHAN

शाहपुरा जिला तोड़े जाने की अटकलों के बीच संत हुए मुखर, कहा- तपस्या की धरती है, जिला बना रहे

शाहपुरा जिला तोड़े जाने की अटकलों के बीच  संत हुए मुखर, कहा- तपस्या की धरती है, जिला बना रहे

भीलवाड़ा, 27 सितंबर (Udaipur Kiran) ।

राजस्थान में कुछ जिलों को हटाने की अटकलों के बीच नवगठित शाहपुरा जिले को तोड़े जाने की संभावनाओं ने स्थानीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा कर दी है। शाहपुरा के संत और रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने 69वें अवतरण दिवस के अवसर पर शाहपुरा को जिला बनाए रखने की पुरजोर पैरवी की।

रामनिवास धाम, शाहपुरा में अवतरण दिवस समारोह में आचार्य ने कहा कि शाहपुरा सिर्फ एक प्रशासनिक इकाई नहीं है, बल्कि यह तपस्या की पवित्र धरती है, जिसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने कहा, शाहपुरा को जिला बनाने के लिए यहां की जनता और संतों ने वर्षों तक इंतजार किया। यह हमारा अधिकार है, जिसे किसी भी सूरत में छीना नहीं जाना चाहिए।

आचार्यश्री ने अपने संप्रदाय की गादी से जनता को संबोधित करते हुए कहा, शाहपुरा आजादी के आंदोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाने वाला स्थान रहा है। यह वही भूमि है, जहां सबसे पहले देश में उत्तरदायी शासन की स्थापना की गई थी। आजादी के बाद रियासतों के विलनीकरण के समय शाहपुरा का जिला बनने का पहला हक था, लेकिन शाहपुरा को नजरअंदाज कर भीलवाड़ा को जिला बना दिया गया। अब जब शाहपुरा जिला बना है, इसे बनाए रखना हमारा हक है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि शाहपुरा के विकास और इसकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए इसे जिला बनाना ही सही निर्णय है। आचार्यश्री ने कहा, यदि शाहपुरा को जिला से वंचित किया गया तो यह यहां के विकास को प्रभावित करेगा।

आचार्यश्री ने इस मौके पर यहां के नेताओं, सांसद और विधायक से अपील की कि वे सभी मिलकर शाहपुरा को जिला बनाए रखने के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा, शासन-प्रशासन से संवाद करना और राज्य व केंद्र सरकार तक इस बात को पहुंचाना आवश्यक है कि शाहपुरा को जिला बनाए रखना जनता की भावनाओं और उनकी आस्थाओं का सम्मान है।

स्वामी रामदयालजी महाराज ने अपने चार्तुमास और अवतरण दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि इन धार्मिक आयोजनों की सार्थकता तभी होगी जब शाहपुरा जिला बना रहेगा। उन्होंने कहा, यह तपस्या की धरती है और यहां के संत, साधु और जनता ने हमेशा तपस्या और संघर्ष के जरिए अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई है।

आचार्यश्री ने यह भी कहा कि शाहपुरा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व किसी से कम नहीं है। यहां की धरती न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। शाहपुरा की सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक आस्था और तपस्या की इस भूमि को जिला बनाए रखना आवश्यक है ताकि यहां के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रख सकें।

आचार्यश्री के इस बयान के बाद शाहपुरा में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। जहां विधायक और अन्य नेता पहले से ही शाहपुरा को जिला बनाए रखने के पक्ष में आवाज उठा रहे थे, वहीं अब संत समाज के इस समर्थन से आंदोलन को और बल मिल रहा है।

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(Udaipur Kiran) / मूलचंद

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