Jammu & Kashmir

गैर मुमकिन खड्डों के परिसीमन के संबंध में नीति में हुआ संशोधन

जम्मू, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । एक महत्वपूर्ण कदम में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद ने राजस्व रिकॉर्ड में गैर मुमकिन खड्ड के रूप में दर्ज भूमि के परिसीमन के लिए संशोधित नीति को मंजूरी दे दी। बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू, उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ मंदीप के भंडारी उपस्थित थे।

इस नीति का उद्देश्य उन खड्डों से खड्डों को अलग करना है जो जल मार्ग नहीं बनाते हैं और इस प्रकार अलग-अलग भूमि के बाद के विकास की अनुमति मिलती है। यह निर्णय पहले प्रशासनिक परिषद के निर्णय संख्या 17/01/2022 दिनांक 29.01.2022 और उसके बाद के सरकारी आदेश संख्या 18-जेके 2022 दिनांक 04.02.2022 का प्रवर्धन और सरलीकरण है जिसके द्वारा एक 3-स्तरीय समिति को इस संबंध में चित्रण/सीमांकन कार्य करने का अधिकार दिया गया।

चीजों की नई योजना के तहत प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत कर दिया गया है जिससे उपायुक्त को राज्य भूमि के लिए शामिल भूमि के आकार की परवाह किए बिना जिला स्तरीय समिति की सिफारिश के आधार पर परिसीमन करने का अधिकार मिल गया है। निजी भूमि के लिए जिला स्तरीय समिति की सिफारिश पर उपायुक्त प्रति खसरा 200 कनाल तक का परिसीमन कर सकते हैं जबकि मंडल स्तरीय समिति और मंडल आयुक्त प्रति खसरा 200-500 कनाल का परिसीमन कर सकते हैं। अन्य सभी प्रस्तावों को यूटी लेवल कमेटी द्वारा अनुमोदित किया जाएगा।

यह विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण कुशल, पारदर्शी और समय पर चित्रण सुनिश्चित करेगा। यह प्रक्रिया डिजिटल एलिवेशन मॉडल/डिजिटल टेरियन मॉडल और हाइड्रोलॉजिकल/हाइड्रोलिक मॉडलिंग आदि जैसी आधुनिक और वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके विभिन्न जिलों में एक साथ आयोजित की जाएगी। इस निर्णय से पर्याप्त औद्योगिक विस्तार होने और नए निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त यह पृथक क्षेत्रों में नियोजित शहरी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कार्य करता है।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा / बलवान सिंह

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