शिमला, 3 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में 102 और 108 एंबुलेंस सेवा से जुड़े कर्मचारियों ने शनिवार को नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। सीटू के बैनर तले हुए इस धरना-प्रदर्शन में कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन सहित कई अन्य मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। यूनियन ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेशभर में एंबुलेंस सेवाएं ठप हो सकती हैं।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि प्रदेश के सुदूर इलाकों में भी जीवन रक्षक सेवाएं देने वाले 102 और 108 एंबुलेंस कर्मचारी अत्यंत कठिन परिस्थितियों में कार्य कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है।
सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि एंबुलेंस कर्मचारी बीते कई वर्षों से महज 12 से 13 हजार रुपये मासिक वेतन में दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जबकि कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि उन्हें कम से कम 18 हजार रुपये वेतन मिलना चाहिए। इसके अलावा न तो उन्हें छुट्टियों की सुविधा मिलती है और न ही किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा।
उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में लगभग 1200 एंबुलेंस कर्मचारी कार्यरत हैं जो न केवल मरीजों की जान बचाने का कार्य करते हैं, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और आपात स्थितियों में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद सरकार और ठेका कंपनियां उनकी अनदेखी कर रही हैं।
मेहरा ने कहा कि आज एनएचएम के प्रबंध निदेशक को मांग पत्र सौंपा गया है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एंबुलेंस सेवा में कार्यरत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन, नियमित छुट्टियां और अन्य जरूरी सुविधाएं तुरंत प्रभाव से दी जाएं। साथ ही ठेका कंपनियों के माध्यम से हो रही ‘लूट’ पर रोक लगाई जाए।
यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इन मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो प्रदेशभर में एंबुलेंस की सेवाएं ठप कर दी जाएंगी और बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
