Bihar

सर्वांगीण विकास में समाहित होता है संस्कार, वृत्ति, आचरण और जीवन दृष्टि : ब्रह्मदेव प्रसाद

उद्घाटन करते अतिथि

भागलपुर, 1 जून (Udaipur Kiran) । सैनिक स्कूल गणपतराय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर नरगाकोठी चंपानगर भागलपुर में भारती शिक्षा समिति एवं शिशु शिक्षा प्रबंध समिति के तत्वावधान में चल रहे नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग, सेवा स्थायित्व वर्ग एवं कार्यरत आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के षष्ठ दिवस रविवार का प्रारंभ गया के निरीक्षक ब्रह्मदेव प्रसाद एवं वर्ग के प्रधानाचार्य उमाशंकर पोद्दार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।

मौके पर ब्रह्मदेव प्रसाद ने कहा कि सर्वांगीण विकास सिर्फ अंक ज्ञान या अक्षर ज्ञान से संभव नहीं है। इसलिए बालकों को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेना पड़ता है। एकांगी विकास को महत्वहीन माना गया है। सर्वांगीण विकास में संस्कार, वृत्ति, आचरण, जीवन दृष्टि समाहित होता है। इसलिए सर्वांगीण विकास का महत्व अधिक है। भैया बहनों के अंदर अंतःकरण का विकास करना है। विद्यालय में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होते हैं। व्यक्ति कार्य करते-करते बहुत सीख जाता है। भैया बहनों के अंदर सदवृत्ति के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा का भाव कार्यक्रमों के माध्यम से जागृत करना है। विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में प्रतियोगिता, जयंती, पर्व, उत्सव, शिशु सभा इत्यादि विद्या भारती के विद्यालय में होता है। जिसके माध्यम से बालकों का सर्वांगीण विकास हो।

रामचंद्र आर्य ने कहा कि सुलेख कला और अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। सुलेख बच्चों के कौशल, ध्यान और धैर्य में सुधार करने में मदद करता है। सतीश कुमार सिंह द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को मासांत बैठक के बारे में विस्तार से बताया गया यह पांच सत्रों में कैसे किया जाता है। परिचय वर्ग के प्रधानाचार्य उमाशंकर पोद्दार द्वारा कराया गया।

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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर

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