काठमांडू, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । संसद की कार्रवाई को सुचारू करने के लिए रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी आम सहमति नहीं बन पाई है। नेपाल के विपक्षी दल अलग-अलग कारणों से संसद की कार्रवाई अवरूद्ध कर रहे हैं। लगातार चौथे दिन संसद की कार्रवाई को स्थगित करने के बाद भी आम सहमति बनने के आसार कम नजर आ रहे हैं।
संसद की प्रतिनिधि सभा में पिछले हफ्ते सतारूढ़ दल के सांसद योगेश भट्टराई ने माओवादियों के दस वर्ष के सशस्त्र विद्रोह को हिंसा का दशक कहा था, जिसके बाद से माओवादी पार्टी के सांसदों ने बुधवार से संसद की कार्रवाई अवरुद्ध किया जा रहा है। माओवादी की मांग है कि जब तक संसद के रिकार्ड से हिंसा शब्द को नहीं हटाया जाता है तब तक संसद की कार्रवाई नहीं चलने दी जाएगी। माओवादी पार्टी के सांसद तथा पार्टी के महामंत्री देव गुरूंग ने कहा कि पार्टी के जनयुद्ध को हिंसा कहना देश के गणतंत्र का अपमान है।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की तरफ से डिप्टी स्पीकर को हटाने को लेकर सदन की कार्रवाई अवरुद्ध की जा रही है। इसी पार्टी से जुड़ी डिप्टी स्पीकर इन्दिरा राना मगर के खिलाफ महाभियोग लाने की चर्चा है। पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने का आरोप है कि सत्तारूढ़ गठबंधन दो तिहाई बहुमत के दंभ पर संवैधानिक मान्यताओं को ताक पर रखकर अपनी मनमानी कर रहा है। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने कहा है कि जब तक सरकार डिप्टी स्पीकर को लेकर अपना निर्णय वापस नहीं लेती है, तब तक सदन की कार्रवाई नहीं चलने दी जाएगी। लामिछने के इस प्रस्ताव का माओवादी सहित अन्य सभी विपक्षी दलों का समर्थन है।
विपक्ष की तीसरी बड़ी पार्टी एकीकृत समाजवादी के प्रमुख सचेतक मेटमणि चौधरी ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर अपनी पार्टी के आधे सांसदों को पार्टी से अलग होने के लिए धन का लालच देने और अध्यादेश लाने की तैयारी करने का आरोप लगाया है।
सभी विपक्षी दलों के विरोध को देखते हुए रविवार को सूचना प्रकाशित कर बैठक को स्थगित कर दिया गया है। स्पीकर देवराज घिमिरे की तरफ से रविवार को दिन भर सहमति बनाने का प्रयास किया गया। स्पीकर घिमिरे ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कोई सहमति नहीं हो पाई। सर्वदलीय बैठक में शामिल माओवादी के नेता अग्नि सापकोटा ने कहा कि माओवादी के खिलाफ प्रयोग किए गए हिंसा शब्द को संसद के रिकार्ड से नहीं हटाने की स्पीकर की रूलिंग के कारण यह परिस्थिति आई है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास