
-न्यायाधीशों की जवाबदेही भी सुनिश्चित हो
प्रयागराज, 26 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शनिवार को एनसीजेडसीसी में न्यायिक प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता विषयक अखिल भारतीय सम्मेलन में देश के विभिन्न हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्षों एवं सचिवों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए अपने विचार रखे। इस बात पर विशेष बल दिया गया कि जिस तरह एक सामान्य नागरिक और कर्मचारी की जवाबदेही निर्धारित है उसी प्रकार न्यायाधीशों की जवाबदेही भी सुनिश्चित हो।
दो मिनट के मौन से पहलगाम में आतंकी हमले में जान गंवाने वाले निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि के बाद दीप प्रज्ज्वलन से प्रारम्भ सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि कॉलेजियम को न्यायाधीशों की नियुक्ति या पदोन्नति के सम्बन्ध में सम्बन्धित बार एसोसिएशन से सम्पर्क करना चाहिए और न्यायाधीश पद की नियुक्ति के सम्बन्ध में सम्भावित व्यक्ति के आचार-व्यवहार के विषय में विचार विमर्श करने के बाद ही नाम प्रस्तावित करना चाहिए।
सम्मेलन में तय हुआ कि श्रृंखला का अगला अखिल भारतीय सम्मेलन कर्नाटका उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन बंगलुरू की ओर से अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी की अध्यक्षता में आयोजित की जाएगी। साथ ही यह भी तय हुआ कि देश के सभी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का एक ट्रस्ट बनाया जाएगा जिसमें हर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव को सदस्य बनाया जाएगा। उक्त ट्रस्ट के अध्यक्ष व सचिव रोटेशनवाइज बदलते रहेंगे। ट्रस्ट बनाने की शुरुआत गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष त्रिवेदी बृजेश ने कर भी दी है। सभी वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा के घर में मिली अनगिनत नगदी के परिप्रेक्ष्य में उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाए।
शुरुआत में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव विक्रांत पांडेय ने स्वागत करते हुए कहा कि यह न्याय की जिम्मेदारी है कि वह न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे, बल्कि उन गलतियों को भी सुधारे जो उनके साथ हुई हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही हो।
गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रजेश त्रिवेदी ने कहा कि आज हम ऐसे समय में हैं, जब न्यायपालिका की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता हो, ताकि हम एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें। हमें न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए नियमों और कानूनों को बनाना होगा। हमें न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा।
कर्नाटका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी ने कहा कि सरकार से दो कोलेजियम स्थापित करने के लिए मांग करनी चाहिए। पहला कोलेजियन नियुक्ति के सम्बन्ध में और दूसरा जवाबदेही व जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए कांस्टीट्यूशन बेंच की भी मांग की जानी चाहिए जिससे न्यायाधीशों की जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा न्यायाधीशों से अपनी और अपने सगे सम्बन्धियों की सम्पत्ति का विवरण भी देने का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए।
यूपी बार काउंसिल के सदस्य श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान में न्याय पालिका की स्थिति यह है कि या तो अपना भला कर लीजिए या समाज का भला कर लीजिए। उन्होंने कहा कि आज जो स्थिति है उसके संकेत पहले से ही आने लगे थे लेकिन हमने उसका विरोध नहीं किया। यदि सही समय पर गलत बातों का विरोध किया जाता तो आज ऐसी भयावह स्थिति उत्पन्न न होती। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति जस्टिस वर्मा के यहां नोट मिलने के मामले में मुकदमा दर्ज करने की मांग तो करते हैं कि ज्यूडिशियल प्रोटेक्शन एक्ट में अमेंडमेंट की बात नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि जस्टिस वर्मा के मुद्दे पर वकीलों में भी बंटवारा हो गया। कोई राजनीतिक सोच में बंट गया तो कोई जातिवाद में बंट गया। जो बचे वे सरकारी वकील और जज बनने के चक्कर में सामने नहीं आए।
पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सरतेज सिंह नरुला ने कहा कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जिस मुहिम की शुरुआत की है वह बहुत ही सराहनीय है और इसको हम ही नहीं बल्कि आने वाले समय के अधिवक्ता आगे बढ़ाएंगे। पटना हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि पंच को हमेशा परमेश्वर कहा गया है और हम अपने न्यायाधीश को माय लार्ड कहते हैं। प्रत्येक अधिवक्ता के अन्दर क्षमता होती है लेकिन आवश्यकता है उसको अपने अन्दर की क्षमता को पहचानने की।
ग्वालियर उच्च न्यायालय के अध्यक्ष पवन पाठक ने कहा कि हमें न्यायपालिका को बचाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी क्योंकि सरकार न्यायपालिका पर अपना कब्जा जमाना चाहती है। यदि संघर्ष नहीं किया गया तो आने वाले समय में न्यायपालिका का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। तेलंगाना उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एलएम जगन ने कहा कि हमें अपनी आवाज बुलंद करना होगा। उन्होंने कहा कि जजों की नियुक्ति के संदर्भ में बार एसोसिएशन की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए जिससे न्यायाधीश के पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति के विषय में, उसके आचार-विचार और व्यवहार कुशलता तथा अन्य जानकारी मिल सके जिस पर विचारोपरान्त ही उसका नाम प्रस्तावित किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने अपने एसोसिएशन के 46 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अधिवक्ता सदस्यों एवं उनके परिवारीजनों को सम्मानित किया। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट महमूद प्राचा, झारखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार, अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शाही, जबलपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन, ग्वालियर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन पाठक, जयपुर बार एसोसिएशन के महासचिव रमित पारिख, केरल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यशवंत शिनॉय, गुजरात हाईकोर्ट के अधिवक्ता भास्कर तन्ना, रिटायर जस्टिस धरणीधर झा ने भी विचार रखे। सम्मेलन में कर्नाटक हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव शान्ता एम गौड़ा एवं कोषाध्यक्ष श्वेता रविशंकर, जबलपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव निखिल तिवारी, पटना उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सचिव जय शंकर प्रसाद सिंह, झारखंड हाईकोर्ट बार के सचिव नवीन कुमार, मुम्बई हाईकोर्ट के अधिवक्ता मैथ्यूज, सैयद अली ताहिर आबिदी ने भी शिरकत की।
—————
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
