अल्जीयर्स, 30 अप्रैल (Udaipur Kiran) । उत्तर अफ्रीकी देश अल्जीरिया ने मोरक्को, माली और फ्रांस के साथ बढ़ते तनाव के बीच एक नया सैन्य लामबंदी विधेयक प्रस्तावित किया है। इस विधेयक का उद्देश्य देश की रक्षा व्यवस्था को आपातकालीन परिस्थितियों में और अधिक सक्षम बनाना है।
यह विधेयक बुधवार को न्याय मंत्री द्वारा सार्वजनिक किया जाएगा, जिसे इस माह की शुरुआत में मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दी थी। संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत प्रस्तावित इस कानून में राष्ट्रीय संकट की स्थिति में समस्त राष्ट्र शक्ति की लामबंदी के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को स्पष्ट किया गया है।
यह कदम उस समय आया है जब पिछले वर्ष फ्रांस ने मोरक्को के पश्चिमी सहारा पर स्वायत्तता योजना का समर्थन किया था। यह क्षेत्र पोलिसारियो फ्रंट के नियंत्रण में है, जिसे अल्जीरिया का समर्थन प्राप्त है और जो देश के दक्षिण-पूर्व में शरणार्थी शिविरों से संचालित होता है। फ्रांस की इस नीति परिवर्तन से अल्जीरिया और उसके बीच संबंधों में खटास आ गई।
वर्तमान में अल्जीरिया के शक्तिशाली सेना प्रमुख सईद शंगरीहा सीमावर्ती सैन्य क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और सैन्य अभ्यासों की निगरानी कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में अल्जीरियाई सेना ने माली सीमा के पास एक सैन्य ड्रोन को मार गिराने का दावा किया था, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का पहला प्रत्यक्ष संकेत माना जा रहा है।
अल्जीरिया, जो अफ्रीका की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है, इस कानून के माध्यम से युद्धकालीन परिस्थितियों में संपूर्ण सैन्य संसाधनों के समन्वित उपयोग की योजना बना रहा है।
हालांकि, यह विधेयक देश की आम जनता में चिंता का विषय बनता जा रहा है। सेवानिवृत्त शिक्षिका अज़ीज़ा साहूई ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “मुझे नहीं समझ आ रहा कि इस परियोजना के पीछे क्या कारण है। माली के ड्रोन द्वारा हमारे क्षेत्र में घुसपैठ के बाद यह और अधिक चिंता का विषय बन गया है।”
यह विधेयक अब संसद में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाएगा, जहां इसकी संवैधानिकता और संभावित प्रभावों पर बहस होने की संभावना है।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
