Uttar Pradesh

संविधान हत्या दिवस का विरोध कर पार्टी के विचारों से विमुख हो गए हैं अखिलेश : स्वाती सिंह

स्वाती सिंह

लखनऊ, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । ‘संविधान हत्या दिवस’ की अधिसूचना जारी होने पर सपा सहित कुछ विपक्षी दल काफी हो-हल्ला मचाने की कोशिश कर रहे हैं। सपा तो यह भी भूल गई है कि उस पार्टी की बुनियाद ही आपात काल के विरोध में पड़ा था। अखिलेश यादव को सबसे पहले आगे आकर संविधान हत्या दिवस का समर्थन करना चाहिए। इससे उनकी पिता की आत्मा खुश होती। ये बातें प्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री और भाजपा नेत्री स्वाती सिंह ने कही।

उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव आपात काल के समय 19 माह जेल में रहे थे। मुलायम सिंह जब तक जिंदा रहे, आपात काल की निंदा करते रहे। स्वाती सिंह ने कहा कि नौ सितंबर 2006 को पहली बार मुलायम सिंह यादव ने ही पूरे प्रदेश के लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को लखनऊ बुलाया था और परिवहन सुविधा की स्वीकृति दी थी। भाजपा के शासन काल में अब उनके सम्मान को बढ़ाते हुए 15 हजार प्रतिमाह से अधिक भत्ता कर दिया।

उन्होंने कहा कि लालू, मुलायम सहित तमाम नेता कांग्रेस के धुर विरोधी लोहिया का नाम लेकर आज भी राजनीति करते हैं। आज वे ही कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं, जबकि इनका जन्म ही कांग्रेस के विरोध में हुआ था।

स्वाती सिंह ने कहा कि कांग्रेस के कुछ लोग कह रहे हैं कि पचास साल बाद इसे याद करने की क्या जरूरत है। यदि स्वतंत्रता के 78 साल बाद भी कांग्रेस कुछ लोगों को नाम लेकर वोट मांग सकती है तो लोकतंत्र की हत्या जब हुई थी, तो उसको क्यों नहीं याद किया जाय। इसको आज विस्तार से घर-घर बताने की जरूरत है। आपात काल में अंग्रेजों के शासन काल से ज्यादा अत्याचार हुए थे। 42वां सेशोधन कर संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ किया गया।

उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस ने संविधान को सबसे ज्यादा ठेस पहुंचाया है। कांग्रेस ने हर समय मनमानी की है। कांग्रेस ने केंद्र में रहते हुए 80 बार विधानसभाओं में चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया है। भाजपा ने कभी सत्ता का दुरुपयोग नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन देश के लिए समर्पित है। वे गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए हर वक्त प्रयासरत रहते हैं। वहीं कांग्रेस सहित कुछ परिवारवादी पार्टियों के लिए उनका परिवार ही सबकुछ है। इस कारण वे देश के लिए नहीं, सत्ता पाने के लिए काम करते हैं।

(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय / राजेश

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