अजमेर, 29 नवम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान और अजमेर को उत्तर प्रदेश का संभल नहीं बनने देंगे। अजमेर सांप्रदायिक सौहार्द की नगरी है और पूरे विश्व में यहां के ख्वाजा साहब की मान्यता है। अजमेर की दरगाह से भाईचारे व सौहार्द का संदेश देश दुनिया में जाता है। निचली अदालतों को चाहिए कि वे ऐसे आदेश देने से बचे जिससे सामाजिक सौहार्द पर आंच आने की आशंका हो। पूर्व मंत्री और लाल डायरी के मामले में सुर्खियों में आए राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने अजमेर में मीडिया से बातचीत में यह कहा। गुढ़ा अजमेर मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में आस्था रखते हैं और वे यहां आते रहते हैं। गुढ़ा दो माह पहले भी अजमेर दरगाह हाजिरी लगाने आए थे। इस बार जब वे यहां पहुंचे तो अजमेर की दरगाह में संकटमोचक महादेव मंदिर होने का मसला अदालत के द्वारा सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने को लेकर सुर्खियों में आया हुआ है। अजमेर की सिविल अदालत ने इस मामले में केन्द्र सरकार के अधीन आने वाली तीन प्रमुख संस्थाओं को नोटिस देने का भी निर्णय किया है।
इस मामले में गुढ़ा ने कहा कि अजमेर की दरगाह से लोगों की आस्था जुड़ी है। इसका 850 साल का इतिहास है यहां हिंदू मुस्लिम सभी धर्म, जाति व सम्प्रदाय के लोग अपनी श्रद्धा और विश्वास से आते हैं। संवैधानिक रूप से पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागू है तो इस तरह के आदेश देने से न्यायालय को बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरगाह में सभी धर्मों की आस्था का लंबा इतिहास रहा है और सदियों से सभी धर्मों के लाखों मतावलंबी यहां आते हैं। दरगाह के निर्माण और विकास में मुस्लिम शासक ही नहीं हिन्दू राजाओं का भी व्यापक योगदान रहा है। गुढ़ा ने कहा कि राजस्थान सरकार अपने काम पर ध्यान दे। राज्य में महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था को मुकम्मल कर जनता को राहत पहुंचाई जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकार को इस तरह के बेबुनियाद दावे कर समाज में वैमनस्यता उत्पन्न करने वालों के विरुद्ध स्वयं प्रसंज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / संतोष