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अजमेर दरगाह मामला: याचिकाकर्ता बोला, अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार ना बनाया जाए

याचिकाकर्ता बोला अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार ना बनाया जाए
याचिकाकर्ता बोला अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार ना बनाया जाए

-अजमेर दरगाह में मंदिर वाद पर सिविल कोर्ट ने की दूसरी बार सुनवाई

-दरगाह अंजुमन कमेटी ने कहा-सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हाे इंतजार

अजमेर, 20 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे को लेकर अजमेर के सिविल कोर्ट में दूसरी बार सुनवाई शुरू हो गई है। हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील ने कोर्ट को कहा कि अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार नहीं बनाया जाना चाहिए। वहीं अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अदालत को इंतजार करना चाहिए, इससे पहले सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।

विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया है। फिलहाल सिविल कोर्ट के बाहर वकीलों की भीड़ लगी हुई है। चारों तरफ सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं।

इससे पूर्व सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता सुबह अजमेर कोर्ट पहुंचे। करीब एक घंटे बाद उनके वकील वरुण कुमार सिन्हा आए और कोर्ट में अपनी बात रखी। सिन्हा ने कोर्ट में कहा कि अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार नहीं बनाया जाए। ना ही दस्तावेज की नकल दी जाए।

इससे पहले अंजुमन कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता इस दावे की सुनवाई करना संभव नहीं है। फिलहाल सुनवााई जारी है। लंच के बाद फैसला आने की संभावना है।

दरगाह में मंदिर होने का दावा किया था पेश-

याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने गुरुवार को ही अजमेर पहुंच कर प्रेस कांफ्रेंस के जरिए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां आकर खुद चादर नहीं चढ़ाई। यह एक पद की परम्परा है जो नेहरू के समय से निभाई जा रही है। गुप्ता ने दावा किया है कि वो कोर्ट में 1250 ईस्वी की किताब पृथ्वीराज विजय के तथ्य पेश करेंगे, जिसमें दरगाह के ख्वाजा साहब के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। साथ ही, गुप्ता ने दावा किया कि अजमेर दरगाह वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती हैं वर्शिप एक्ट मंदिर, मस्जिद और गिरजाघरों पर लागू होता है। गुप्ता को एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर सुरक्षा भी मुहैया करवाई गई है।

यह है पूरा मामला…

अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका अजमेर की सिविल कोर्ट में गत 27 नवम्बर को स्वीकार कर ली गई थी। अदालत ने इसे सुनने योग्य माना और 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख दी। दरगाह में मंदिर होने का दावा हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से पेश किया गया था। मामले में सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस भेजा था।

उल्लेखनीय है कि अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर याचिका लगाई थी। इस पर अजमेर सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया था। साथ ही अगली सुनवाई 20 दिसम्बर तय की थी। जिसे बाद में अजमेर दरगाह से जुड़े खादिमों की संस्थाओं सहित अन्य मुस्लिम संगठनों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने विवाद खड़ा कर अपने वक्तव्य जारी किए थे और कोर्ट को वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए इस मामले में सुनवाई नहीं करने की नसीहत दी थी। मामले में वाद-विवाद बढ़ने पर इसे लेकर सरकार व प्रशासन के स्तर पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाने लगी है। अजमेर की दरगाह को सभी की आस्था का केंद्र मानते हुए उसकी सुरक्षा व यहां निकट भविष्य में ही आयोज्य सालाना उर्स के दृष्टिगत मामला अधिक संवेदनशील बना हुआ है।————

(Udaipur Kiran) / संतोष

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