श्रीनगर, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर पुलिस ने वायुसेना स्टेशन श्रीनगर में तैनात 26 वर्षीय महिला फ्लाइंग ऑफिसर द्वारा एक वरिष्ठ अधिकारी पर यौन उत्पीड़न और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद प्राथमिकी दर्ज की है। भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) के तहत बडगाम पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई जो विश्वास या अधिकार वाले पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा दुष्कर्म से संबंधित है।
जानकारी के अनुसार महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में कहा कि यह घटना 31 दिसंबर, 2023 की रात की है, जब श्रीनगर के वायुसेना स्टेशन में नए साल की पार्टी चल रही थी। महिला ने कहा कि पार्टी के बाद स्टेशन पर विंग कमांडर ने उससे पूछा कि क्या उसे उपहार मिला है। मैंने कहा कि मुझे कोई उपहार नहीं मिला है। उन्होंने मुझे अपने कमरे में आने को कहा जहां उन्होंने सभी उपहार रखे थे। मैं उनके साथ उनके कमरे में चली गई। उन्होंने शिकायत में ऐसा कहा।
महिला अधिकारी ने विंग कमांडर पर अपने कमरे में उसका यौन शोषण करने का आरोप लगाया। उसने आरोप लगाया, कि उसकी हरकतों का विरोध करने के बावजूद मुझे एक दर्दनाक स्थिति में धकेल दिया गया। मैंने इस घटना के बारे में 2 महिला अधिकारियों को बताया। उन्होंने मुझे शिकायत दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया। मैं सेना के माहौल में नई होने के कारण मानसिक सदमे में चली गई। मैं इस हद तक शर्मिंदा और टूटी हुई थी कि रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। मैं एक अविवाहित लड़की होने की मानसिक पीड़ा को बयां नहीं कर सकती जो सेना में शामिल हुई है और जिसके साथ इस तरह का जघन्य व्यवहार किया गया। इस घटना और बुरे सपनों ने मुझे दुविधा में डाल दिया कि क्या चर्चा करूं या चुप रहूं इसलिए आखिरकार मैंने फैसला किया और लड़ने का फैसला किया।
उसने आरोप लगाया कि वह एओसी (एयर ऑफिसर कमांडिंग) को शिकायत दर्ज कराने में भी परेशान थी और एक कर्नल को घटना की जांच करने का आदेश दिया गया और आरोपी को उसके साथ बैठाया गया। उसने आरोप लगाया कि आंतरिक जांच को गलत तरीके से संभाला गया और उसकी चिंताओं को खारिज कर दिया गया।
उसने कहा कि मैंने आंतरिक समिति (आईसी) के सामने एक गवाह को बुलाने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने का अनुरोध किया था जिसे अपना बयान देने से पहले शिविर क्षेत्र से भागने के लिए मजबूर किया गया था लेकिन आंतरिक समिति ने ऐसा नहीं किया।
सभी तथ्य प्रस्तुत करने और प्रशिक्षित गवाहों में झूठ और विरोधाभासों को सामने लाने के बावजूद आईसी ने सब कुछ अनदेखा कर दिया। मैंने स्टेशन अधिकारियों की लापरवाही को सामने लाया कि कैसे एक गवाह को अपना बयान देने से पहले शिविर क्षेत्र से बाहर निकाल दिया गया।
लेकिन जब आईसी ने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं तो इनमें से किसी भी बिंदु पर कार्रवाई की सिफारिश नहीं की गई। आईसी ने अपना काम ठीक से नहीं किया? हर कोई यौन अपराधी की मदद कर रहा था उसने पुलिस को दी गई शिकायत में ऐसा लिखा। उसने अंतरिम राहत और कई बार छुट्टी का अनुरोध भी किया था लेकिन हर बार छुट्टी देने से इनकार कर दिया गया।
मैंने कहा कि या तो खुद या आरोपी को इस स्थान पर तैनात किया जाए लेकिन आज तक दोनों एक ही स्थान पर तैनात हैं। मुझे इन लोगों के साथ मेलजोल करने और अपने उत्पीड़क के साथ कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता है। उसने यह आरोप लगाया।
महिला अधिकारी ने कहा कि उसके संचार पर लगातार अनौपचारिक रूप से निगरानी रखी जाती है और जिन व्यक्तियों से वह बात करती है उन्हें अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है। उन्होंने एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने जिस व्यक्ति से बात की थी, उसे सुरक्षा विभाग ने हिरासत में लेकर पूछताछ की और इस घटना पर जांच का आदेश दिया गया।
(Udaipur Kiran) / अमरीक सिंह