जम्मू, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। अहोई अष्टमी व्रत के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस वर्ष अहोई अष्टमी व्रत (चन्द्रोदय व्यापिनी) इस वर्ष 2024 ई. सन् 24 अक्टूबर गुरुवार को किया जायेगा। संतान की दीर्घ आयु, आरोग्य जीवन प्रदान करने की मंगलकामना एवं परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए अहोई माता पार्वती का व्रत एवं पूजन किया जाता है।
उन्होंने आगे बताया कि कुछ निसंतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए भी अहोई माता का व्रत करती हैं। इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर ही करती हैं और शाम को अहोई माता की आकृति गेरु और लाल रंग से दीवार पर बनाकर उनकी पूजा,कथा,आरती और मीठे पुए या आटे का हलवा का भोग लगाये,कुछ माताएं तारों की छांव में तो कुछ चंद्रमा को अर्ध्य देकर भोजन करती है। गुरुवार को सायं काल 5.45 बजे से 6.49 बजे तक अहोई देवी का पूजन करना कल्याणकारी रहेगा। अहोई अष्टमी के दिन पेठे का दान करें।
अहोई अष्टमी व्रत कथा
एक साहूकार की बेटी के द्वारा घर को लीपने के लिए मिट्टी लाते समय मिट्टी खोदने हेतु खुरपा चलाने से साही के बच्चों के मरने से संबंधित है। अहोईअष्टमी की दूसरी कथा मथुरा जिले में स्थित राधाकुण्ड में स्नान करने से संतान-सुख की प्राप्ति के संदर्भ में है। गुरुवार 24 अक्टूबर सुबह -सुबह 6 बजकर 16 मिनट से गुरु पुष्य नक्षत्र लग जाएगा, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन कर्क राशि में चंद्रमा में होंगे एवं साध्य योग रहेगा। इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य सफल होता है। साफ शब्दों में कहें तो इस योग में किया गया पूजन कार्य का शुभ फल आने वाले समय में निश्चित ही मिलता है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा