वाराणसी, 04 नवम्बर (Udaipur Kiran) । नमक-प्रभावित मिट्टी की चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक यूएनयूएसए, इंडोनेशिया पहुंचे। विश्वविद्यालय के पर्यावरण और सतत विकास संस्थान (आईईएसडी) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव प्रताप सिंह इंडोनेशिया में सुराबाया नहदलातुल उलमा विश्वविद्यालय (यूएनयूएसए) शोध दौरे में संकाय, छात्रों और कृषि विशेषज्ञों के साथ चर्चा में शामिल होंगे। इन इंटरैक्शन का उद्देश्य दोनों देशों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के समाधान के लिए पर्यावरणीय स्थिरता में डॉ. सिंह के व्यापक अनुभव का लाभ उठाना है। मिट्टी के क्षरण से निपटने के लिए रणनीतियों के ज्ञान का आदान-प्रदान भी होगा।
बीएचयू जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार प्रो. सिंह 09 नवम्बर तक यूएनयूएसए के डॉ. एडज़ा आरिया विकुरेंद्र के सहयोग से संचालित इस शोध परियोजना से जुड़े रहेंगे। इस दौरान नमक प्रभावित मिट्टी में पौधे-सूक्ष्मजीव अंतःक्रियाओं का पता लगाया जाएगा। जो कई क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता और स्थिरता के लिए बढ़ती चिंता का कारण है। डॉ. सिंह की जैविक मृदा संशोधन में अपनी विशेषज्ञता है, जो मृदा स्वास्थ्य और लवणीय परिस्थितियों में कृषि लचीलेपन में सुधार में उनकी भूमिका का आकलन करने में महत्वपूर्ण होगी। यह शोध दौरा न केवल गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक मूल्यवान कदम का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि भारत और इंडोनेशिया के बीच शैक्षणिक संबंधों को भी मजबूत करता है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी