
हुगली, 10 अप्रैल (Udaipur Kiran) । कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा बुधवार को श्रीरामपुर रेलवे स्टेशन और संलग्न इलाके से अतिक्रमण हटाने के रेलवे के फैसले को मंजूरी देने के बाद से स्टेशन पर दुकान लगाकर अपनी रोजी रोटी चला रहे हॉकरों की चिंता बढ़ गई हैं। यह मामला अमृत भारत परियोजना के तहत इलाके के विकास से जुड़ा है, जिसके लिए रेलवे ने अवैध रूप से बसे हॉकरों को हटाने का निर्णय लिया था।
हाइकोर्ट ने पहले इस पर स्थगनादेश लगाया था, लेकिन बुधवार को न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने स्थगनादेश हटा दिया और रेलवे को अतिक्रमण अभियान जारी रखने की अनुमति दे दी। अदालत हावड़ा डीआरएम की रिपोर्ट से संतुष्ट थी, जिसमें हॉकरों के दस्तावेजों की जांच की गई थी। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि रेलवे के कार्य में हस्तक्षेप नहीं होगा, क्योंकि यह क्षेत्र रेलवे की संपत्ति है।
दूसरी ओर, हॉकरों का तर्क है कि वे 50 साल से वहां दुकानें लगा रहे हैं और रेलवे ने अचानक नोटिस देकर उन्हें बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू की। यह स्थिति उनके लिए आजीविका का संकट पैदा कर सकती है।
गुरुवार को श्रीरामपुर रेलवे स्टेशन पर दुकान लगाने वाले एक हॉकर ने बताया कि अदालत के फैसले के बाद वह अपनी आजीविका को लेकर चिंतत है। लंबे समय से श्रीरामपुर स्टेशन पर दुकान लगाकर उन्होंने अपने परिवार को पाला है। पता नहीं भविष्य क्या होगा।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
