
उदयपुर, 23 मई (Udaipur Kiran) । कभी मानसिक असंतुलन और असहायता के अंधकार में खोए एक व्यक्ति को जब अपने परिवार की पहचान मिली, तो छह माह बाद भाई से मिलने का दृश्य भावुक कर देने वाला था। यह मार्मिक क्षण देखने को मिला उदयपुर के प्रतिष्ठित सेवा संस्थान अपना घर आश्रम में, जहां निराश्रित, शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों को स्नेह, सेवा और पुनर्वास के माध्यम से जीवन की नई राह दी जाती है।
किशनलाल नामक सामाजिक कार्यकर्ता की सूचना पर 13 मई 2025 को अपना घर आश्रम की रेस्क्यू टीम ने उदयपुर-नाथद्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग से एक ऐसे प्रभुजी को रेस्क्यू किया जो शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यंत अस्वस्थ अवस्था में थे। वे न केवल बुरी हालत में थे, बल्कि अपना नाम, पता या परिवार के बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थे। आश्रम में उन्हें आवश्यक चिकित्सा, मानसिक परामर्श और सेवा प्रदान की गई। आश्रम के सेवाभावी वातावरण और सतत उपचार से धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ।
लगभग एक सप्ताह पश्चात, 20 मई को काउंसलिंग सत्र के दौरान उन्होंने अपने बारे में जानकारी देना प्रारंभ किया। उन्होंने अपना नाम गोपाल बताया और जूनागढ़, गुजरात का निवासी होना बताया। उन्होंने अपने बड़े भाई राकेश का मोबाइल नंबर भी बताया। तत्पश्चात आश्रम की टीम ने परिवार से संपर्क किया और वीडियो कॉल के माध्यम से उनकी बात उनके भाई और माताजी से कराई गई।
छह महीने बाद अपने बेटे को जीवित और स्वस्थ देखकर माताजी भावुक हो उठीं। वीडियो कॉल पर बात करते हुए वे अपने आंसू रोक नहीं सकीं। परिवार को जब यह ज्ञात हुआ कि खोया हुआ पुत्र जीवित अवस्था में एक सेवा संस्थान में है, तो वे खुशी से झूम उठे। गोपाल के बड़े भाई राकेश 22 मई को उन्हें लेने के लिए स्वयं आश्रम पहुंचे। उन्होंने बताया कि 19 नवम्बर 2024 को गोपाल पोरबंदर जाने की बात कहकर घर से निकले थे, लेकिन तब उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और इलाज भी जारी था। परिवार ने आसपास बहुत तलाश की, पुलिस थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई, किंतु कोई सुराग नहीं मिला।
जब आश्रम से गोपाल के बारे में सूचना मिली, तो पूरे परिवार में उल्लास का माहौल छा गया। भाई राकेश जब आश्रम पहुंचे और गोपाल की सुधरी हुई स्थिति देखी, तो वे आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने आश्रम की सेवा-भावना की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था सेवा की अद्भुत मिसाल है। मेरे पास आभार प्रकट करने के लिए शब्द नहीं हैं।
आश्रम ने आवश्यक प्रक्रियाएं पूर्ण करने के उपरांत, संस्था के अध्यक्ष गोपाल कनेरिया, वित्त सचिव प्रकाश जोशी, मीडिया प्रभारी गोपाल डांगी एवं कार्यालय प्रभारी सुल्तान सिंह की उपस्थिति में प्रभुजी को पारंपरिक तिलक, उपरणा और पगड़ी पहनाकर ससम्मान विदा किया। उनका गांव ओसा, तहसील मगरोल, जिला जूनागढ़ (गुजरात) है, जहां वे अब अपने परिजनों के साथ पुनः सामान्य जीवन की ओर अग्रसर होंगे।
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(Udaipur Kiran) / सुनीता
