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डेढ दशक पुराने प्रकरण का निस्तारण कर हाईकोर्ट ने दिए भुगतान के आदेश

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 2 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल राशि के पुनर्भरण के करीब डेढ दशक पुराने प्रकरण का निस्तारण करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता को चिकित्सीय इलाज में हुए खर्च का सरकारी दर पर गणना कर तीन माह में भुगतान करे। ऐसा नहीं करने पर अदालत ने छह फीसदी ब्याज का भुगतान करने को कहा है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश साहब सिंह की याचिका का निस्तारण करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता जलदाय विभाग, हिंडौन में कार्यरत था। वर्ष 2007 में आपातकाल में उसे जयपुर के निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ा। जिसमें करीब अस्सी हजार रुपए खर्च हुए। याचिकाकर्ता ने बाद में इस राशि के पुनर्भरण के लिए विभाग में बिल पेश किए। जिसे सहायक अभियंता ने भुगतान की सिफारिश के साथ अधिशासी अभियंता को भेज दिए। वहीं बिल राशि को विभाग ने यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता ने सरकारी अस्पताल या मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल में इलाज नहीं कराया है। वहीं जिस अस्पताल से याचिकाकर्ता ने इलाज कराया है, वह राज्य सरकार से अधिकृत भी नहीं है। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि इमरजेंसी में याचिकाकर्ता को इलाज कराना जरूरी था। सुप्रीम कोर्ट भी तय कर चुका है कि इमरजेंसी में कहीं भी इलाज कराया जा सकता है और पुनर्भरण राशि की गणना सरकारी अस्पताल में खर्च होने वाली राशि के आधार पर की जा सकती है। इसलिए याचिकाकर्ता को इलाज में खर्च राशि का पुनर्भरण किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को तीन माह में राशि का पुनर्भरण करने को कहा है।

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(Udaipur Kiran)

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