
कोलकाता, 30 मई (Udaipur Kiran) । अलीपुरद्वार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तृणमूल कांग्रेस सरकार पर निशाना साधे जाने के एक दिन बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर करारा जवाब दिया है। अपने जवाब में उन्होंने राज्य सरकार की ओर से अलीपुरद्वार और उसके आसपास के क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी और प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि वे लोगों को बांटने का नहीं, जोड़ने का काम करती हैं।
ममता बनर्जी ने अपने पोस्ट में बताया कि उनकी सरकार ने अलीपुरद्वार जिले में समावेशी विकास को प्राथमिकता दी है। उन्होंने बताया कि ‘बांग्ला शस्य बीमा’ योजना के तहत 1.18 लाख और ‘बिनामूल्य सामाजिक सुरक्षा योजना’ के तहत 2.75 लाख लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं।
मुख्यमंत्री के अनुसार, अब तक 37 हजार से अधिक पट्टे वितरित किए जा चुके हैं, जिनमें 17,072 भूमि पट्टे, 12 हजार 614 शरणार्थी पट्टे, छह हजार 397 वन पट्टे और एक हजार 127 चाय सुंदरी पट्टे शामिल हैं।
‘जलस्वप्न’ परियोजना के अंतर्गत 3.65 लाख में से 2.11 लाख परिवारों को पीने के पानी की सुविधा दी गई है। वहीं, ‘बांग्लार बाड़ी’ योजना के तहत 546.13 करोड़ की राशि 45 हजार 511 परिवारों को आवास निर्माण हेतु दी गई है। ‘कर्मश्री’ योजना के तहत 2.84 लाख लोगों को रोजगार दिया गया, जिससे 1.28 करोड़ कार्यदिवस सृजित हुए, जिस पर करीब 300 करोड़ राशि खर्च हुए।
‘पथश्री’ योजना के अंतर्गत चार हजार 266 किलोमीटर सड़कों का निर्माण लगभग चार हजार करोड़ की लागत से हुआ है। साथ ही 45 नए पुलों का निर्माण भी हुआ है, जिनमें बाला, बसरा, दीमा, बुरीतोरसा, कुमाई जैसी नदियों पर बने पुल शामिल हैं। अलीपुरद्वार में 28 करोड़ की लागत से नया बस स्टैंड भी बनाया गया है।
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चाय बागान और श्रमिक कल्याण
ममता ने दावा किया है कि जिले के 61 चाय बागानों में से आठ बंद बागानों को फिर से खोला गया है। श्रमिकों की दैनिक मजदूरी बढ़ाकर 250 रुपये कर दी गई है, जो देश में सबसे अधिक है। बंद बागानों के श्रमिकों को आर्थिक सहायता, मुफ्त राशन, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं। महिला श्रमिकों के लिए क्रेच भी बनाए जा रहे हैं। ‘चाय सुंदरी’ योजना के तहत दो हजार 969 परिवारों को घर और 14 हजार परिवारों को वित्तीय सहायता दी गई है।
दो नए औद्योगिक पार्क निर्माणाधीन हैं और 14 हजार 105 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों ने 38 हजार से अधिक नौकरियां दी हैं। पर्यटन के क्षेत्र में चाय पर्यटन और धार्मिक पर्यटन पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसके तहत 74 होमस्टे पंजीकृत किए गए हैं।
राज्य सरकार ने राजबंशी और कामतापुरी भाषाओं को राजकीय भाषा का दर्जा दिया है। इनके लिए अकादमियां और विकास बोर्ड बनाए गए हैं। ठाकुर पंचानन बर्मा की जयंती पर राजकीय अवकाश और उनके आवास को संग्रहालय में बदला गया है। 200 से अधिक राजबंशी स्कूलों को मान्यता मिली है और 100 सादरी भाषा स्कूल खोलने की योजना है। मेखलीगंज में नारायणी बटालियन का गठन किया गया है और बाबुरहाट में महाबीर चिला राय की 15 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई है।
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आदिवासी विकास पर विशेष ध्यान
ममता ने कहा है कि सरना/सारी धर्म को मान्यता देने हेतु विधेयक पारित हुआ है और आदिवासी जमीन गैर-आदिवासियों को स्थानांतरित करने पर रोक लगाई गई है। ‘जय जोहार’ पेंशन योजना के तहत तीन लाख से अधिक आदिवासी बुजुर्गों को पेंशन दी जा रही है। संथाली स्कूल और कॉलेजों में संथाली भाषा की डिग्री कोर्स शुरू किए गए हैं। झार और माझी थानों का विकास हो रहा है। आदिवासी कलाकारों को धमसा-मदल वाद्य यंत्र वितरित किए जा रहे हैं।
ममता बनर्जी ने अपने पोस्ट में स्पष्ट कहा कि उनकी सरकार धर्म के आधार पर लोगों को नहीं बांटती। उनका उद्देश्य है– सबका विकास, सबकी भागीदारी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
