
नैनीताल, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने कालागढ़ डैम के समीप वन विभाग एवं सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से रह रहे सेवानिवृत्त एवं अन्य करीब 4 से 5 सौ परिवारों को हटाये जाने के मामले पर सुनवाई की। कोर्ट की खण्डपीठ ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार से इस मामले में 5 मई तक एक शपथपत्र पेश करने को कहा है। आज हुई सुनवाई पर राज्य सरकार की तरह से कोर्ट को अवगत कराया गया कि पूर्व के आदेश पर सरकार ने यूपी सरकार के चीफ सेकेट्री से वार्ता कर इन्हें विस्थापिरत करने की अपनी बात रखी। लेकिन यूपी सरकार ने इन्हें विस्थापिरत करने से इंकार कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि कालागढ़ का अधिकांस क्षेत्र उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन है। वही इन्हें विस्थापित करे इसपर कोर्ट ने समिति से कहा कि आप अपनी याचिका यूपी की हाइकोर्ट में दायर करें। इसका विरोध करते हुए समिति की तरफ से कहा गया कि वे उत्तराखण्ड के मूल निवासी हैं। इसलिए उनकी याचिका को यहीं सुना जाय। उन्हें हटाये जाने का नोटिस भी जिला अधिकारी पौड़ी के द्वारा ही दिया गया है न कि यूपी सरकार ने।
मुख्य न्यायाधीधा जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलाेक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष क्षामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति ने उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि तत्कालीन यूपी सरकार ने 1960 में कालागढ़ डैम बनाएँ जाने के लिए वन विभाग की कई हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करके सिंचाई विभाग को दी थी। साथ में यह भी कहा था कि जो भूमि डैम बनाने के बाद बचेगी उसे वन विभाग को वापस किया जाएगा। डैम बनने के बाद कई हेक्टेयर भूमि वापस की गई, लेकिन शेष बची भूमि पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों व अन्य लोगो ने कब्जा कर दिया। अब राज्य सरकार 213 लोगों को विस्थापित कर रही है जबकि वे भी दशकों से उसी स्थान पर रह रहे हैं और उनको विस्थापित नहीं किया जा रहा है। उन्हें हटने का नोटिस दिया गया है।
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(Udaipur Kiran) / लता
