
– बांग्लादेशी निष्कासन मुद्दे पर असम विधानसभा में हंगामा
गुवाहाटी, 9 जून (Udaipur Kiran) । असम विधानसभा का सोमवार का विशेष एकदिवसीय सत्र अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के निष्कासन को लेकर बेहद गर्म रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस मुद्दे कोे लेकर तीखी बहस हुई। कांग्रेस और एआईयूडीएफ जैसे दलों ने जहां असम सरकार पर असमिया के नाम पर भारतीय नागरिकों को परेशान करने का आरोप लगाया, वहीं मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने सदन में स्पष्ट किया कि केवल उच्चतम् न्यायालय के आदेश और विदेशी ट्राइब्यूनल के फैसले के आधार पर ही किसी को विदेशी घोषित कर निष्कासित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री बनने से पहले एक असमिया हूं। बिमला प्रसाद चालिहा ने मुख्यमंत्री रहते विदेशी निष्कासन किया था और उनके बाद मैं ही हूं जिसने अवैध बांग्लादेशियों को निष्कासित करने में सफलता पाई है।” उन्होंने कहा कि सरकार ने यह प्रमाणित कर दिया है कि असम से विदेशियों का निष्कासन संभव है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि विदेशी ट्राइब्यूनलों द्वारा लगभग 30 हजार लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, जिनमें से अधिकतर को तरुण गोगोई के शासनकाल में चिन्हित किया गया था। लेकिन उस समय किसी को निष्कासित नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा सरकार अब तक 330 अवैध बांग्लादेशियों को निष्कासित करने में सफल रही है।
उन्होंने कहा कि एनआरसी में नाम होने का मतलब यह नहीं कि व्यक्ति भारतीय है, क्योंकि कई विदेशी लोग नाम की वर्तनी बदलकर, पहले वोटर लिस्ट में नाम डलवाकर और फिर आधार कार्ड बनवाकर एनआरसी में शामिल हो गए।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि 1971 की 25 मार्च को ही विदेशी और भारतीय नागरिकों की पहचान की आधार रेखा मानी जाएगी, जिसे सभी संगठन– चाहे वह आसू हो या आम्सू– पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि एक हालिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि विदेशी की पहचान के लिए अब ट्राइब्यूनल की जरूरत नहीं, और जिलाधिकारी के पास यह अधिकार है कि वह किसी को विदेशी मानकर निष्कासित कर सकता है। उन्होंने बताया कि बाढ़ की वजह से 35 और बांग्लादेशियों का निष्कासन रुका हुआ है।
इस बीच कांग्रेस, एआईयूडीएफ, सीपीआई(एम) और निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने मिलकर सदन में विरोध प्रदर्शन किया। एआईयूडीएफ विधायकों ने प्लेकार्ड के साथ विरोध जताया, जबकि कांग्रेस ने कुछ समय के लिए सदन का बहिष्कार भी किया।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
