Assam

18 वर्षों के अंधेरे के बाद मेघालय के पहामजुला गांव में लौटी रोशनी

शिलांग, 23 मई (Udaipur Kiran) । मेघालय के री-भोई जिले के जिरांग विधानसभा क्षेत्र में स्थित पहामजुला गांव ने 18 वर्षों के लंबे अंधेरे के बाद आखिरकार रोशनी देखी है। 2007 में ट्रांसफॉर्मर के खराब होने के बाद से गांव की 77 परिवारों की आबादी बिना बिजली के जीवन व्यतीत कर रही थी।

गांववासियों की पीड़ा को समझते हुए, मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने स्थानीय विधायक सोस्थेनेस सोहतुन के माध्यम से प्राप्त निवेदन पर त्वरित कार्रवाई की। महज तीन दिनों में ट्रांसफॉर्मर की मरम्मत कर बिजली आपूर्ति बहाल की गई, जिससे गांववासियों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई।

मुख्यमंत्री संगमा ने गुरुवार को गांव का दौरा किया और वहां के निवासियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, इस प्रकार की उपेक्षा अस्वीकार्य है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम हमेशा अपने लोगों की चिंताओं को सुनें और उनका समाधान करें। उन्होंने यह भी बताया कि यह पहल ‘सीएम-कनेक्ट इम्पैक्ट’ कार्यक्रम के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य दूरस्थ समुदायों के साथ सरकार की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करना है।

गांव के मुखिया बिरन तारो ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि पहामजुला को फिर से बिजली मिलेगी। यह हमारे लिए ‘नरक से वापसी’ जैसा अनुभव है।

मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों के दौरान स्थानीय निवासियों द्वारा तैयार किए गए पारंपरिक भोजन परोसे जाएं, जिससे समुदाय और सरकार के बीच संबंध और मजबूत हों।

इस घटना से मेघालय के दूरस्थ क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और सरकारी उदासीनता साफ उजागर होती है। पहामजुला गांव की यह कहानी मेघालय के अनेक गांवों में दिखती है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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