काबुल, 20 मार्च (Udaipur Kiran) । अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने गुरुवार को अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की, जिसे एक ‘आश्चर्यजनक यात्रा’ बताया जा रहा है। इस उच्चस्तरीय बैठक में अमेरिका के विशेष दूत और पूर्व अफगान सुलह दूत ज़ल्मे खलीलज़ाद भी शामिल थे, जिन्होंने दोहा समझौते में अहम भूमिका निभाई थी।
इस मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। हालांकि, बैठक की विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब अटकलें लगाई जा रही हैं कि ट्रंप प्रशासन तालिबान के साथ अपने जुड़ाव के तरीके पर पुनर्विचार कर रहा है।
इससे पहले, एक अमेरिकी निजी क्षेत्र का प्रतिनिधिमंडल अफगान अधिकारियों और स्थानीय हितधारकों के साथ बातचीत कर चुका है। यह तालिबान के सत्ता में आने के बाद पहली बार था जब अमेरिकी निजी कंपनियों ने अफगानिस्तान में सीधे तौर पर अधिकारियों से संवाद किया।
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2021 में अमेरिका और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता फिर से हासिल कर ली थी। इसके बाद से उन्होंने इस्लामी कानून की सख्त व्याख्या लागू की है, जिसके तहत लड़कियों की छठी कक्षा के बाद की शिक्षा पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा, महिलाओं के काम करने के अधिकार सीमित कर दिए गए हैं, खासकर मानवीय संगठनों में, और उनके लिए सार्वजनिक स्थलों जैसे पार्क, जिम और स्नानगृहों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन नीतियों के कारण तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल सकी है। हालांकि, तालिबान का दावा है कि उन्होंने देश में स्थिरता बहाल की है। उनका कहना है कि उनकी नीतियां अफगान संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप हैं।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
