
—राजघाट सरीखा समाधि स्थल बनाने की मांग,डबल लाक में बंद है अस्थिकलश
वाराणसी,27 फरवरी (Udaipur Kiran) । अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के शहादत दिवस पर गुरूवार को अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधि मंडल ने उनके अस्थि कलश को विरोचित सम्मान के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एडीएम प्रोटोकाल को सौंपा। अधिवक्ताओं ने ज्ञापन के जरिए मांग किया कि अमर शहीद को विरोचित सम्मान देने के लिए डबल लाक में बंद अस्थिकलश को सनातनी रिवाज के अनुसार प्रयागराज संगम में विसर्जित किया जाय और उनके लिए राजघाट सरीखा समाधिस्थल बने जहां चौबीस घंटे अमर शहीद ज्योति जले।
प्रतिनिधि मंडल में शामिल बनारस बार के पूर्व महामंत्री अधिवक्ता नित्यानंद राय ने बताया कि अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद का अस्थि कलश लखनऊ के चिड़ियाघर में डबल लाक में बंद है। वहीं, आजाद की प्रतिमा वाराणसी शिवपुर स्थित सेंट्रल जेल में है। दोनों ही जगहों पर अमर शहीद आजाद के अस्थिकलश और प्रतिमा के दर्शन करने के लिये पहले अनुमति लेना पड़ता है। यहां आमजन का प्रवेश नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के उदासीनता के चलते यह नौबत आई है। उन्होंने बताया कि क्रांतिकारियों पर स्वतंत्र तौर पर शोध किया है। शोध में सामने आया कि चंद्रशेखर आजाद का अंतिम संस्कार करने के बाद उनके फूफा शिव विनायक मिश्र उनकी पवित्र अस्थियां अपने वाराणसी के पियरी स्थित घर पर लेते आये। शिव विनायक मिश्र के निधन के बाद आजाद के फूफेरे भाइयों राजीव लोचन मिश्र,फूलचन्द्र मिश्र,श्याम सुन्दर मिश्र ने 10 जुलाई 1976 को अस्थिकलश तत्कालीन राज्य सरकार के प्रतिनिधि सरदार कुलतार सिंह को समर्पित कर दी। जिन्होंने आजाद के अस्थिकलश को लखनऊ के चिड़ियाघर स्थित स्टेट म्यूजियम में रखवा दिया। तब से अस्थिकलश वहीं डबल लाक में रखा गया हैं । प्रतिनिधि मंडल में अधिवक्ता विनोद पांडेय भैयाजी ,गौतम झा,प्रभु पांडेय,राहुल तिवारी,संजीवनी यादव आदि शामिल रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
