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सरसों  फसल को लेकर जारी की एडवाइजरी, सिंचाई जल्द करने पर कालर रॉट नामक बीमारी का खतरा

सरसों  फसल को लेकर जारी की एडवाइजरी, सिंचाई जल्द करने पर कालर रॉट नामक बीमारी का खतरा

बीकानेर, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (एसकेआरएयू) के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। किसानों को फसल सुधार और आय बढ़ाने में मदद के लिए समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जाती है। इसी कड़ी में एसकेआरएयू के कृषि अनुसंधान केंद्र ने सरसों की फसल को लेकर एडवाइजरी जारी की है। यदि किसान इस पर अमल करते हैं, तो निश्चित रूप से उनकी सरसों की फसल बेहतर होगी।

सरसों की सिंचाई को लेकर सुझाव

कृषि अनुसंधान केंद्र बीकानेर के क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, डॉ. एच.एल. देशवाल ने सरसों की फसल पर एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि सरसों की फसल में पहली सिंचाई एक माह से पहले न करें। उन्होंने चेतावनी दी कि जल्द सिंचाई करने से कालर रॉट बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। वर्तमान में अत्यधिक तापमान के चलते जल्दी सिंचाई करने पर फसल झुलसने की संभावना है।

भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान की एडवाइजरी के अनुसार, पहली सिंचाई के समय मिट्टी में नमी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए केवल आवश्यकता अनुसार ही पानी दें। भूमि की नमी 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर जांचने के बाद ही सिंचाई करें। अत्यधिक सिंचाई से बचना जरूरी है, क्योंकि यह बीमारी के प्रसार का कारण बन सकती है।

कालर रॉट बीमारी का निदान

डॉ. देशवाल ने बताया कि जिन किसानों ने जल्दी सिंचाई कर दी है और उनकी फसल में झुलसने के लक्षण (कालर रॉट) नजर आ रहे हैं, वे तत्काल इसका उपचार करें। इसके लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन 200 पीपीएम (200 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी) और कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि छिड़काव केवल संक्रमित पौधों पर ही किया जाए।

मौसम पूर्वानुमान

डॉ. देशवाल ने भारत मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली, और राज्य मौसम केंद्र, जयपुर से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर बताया कि बीकानेर जिले में 26 नवंबर तक मौसम साफ रहने की संभावना है। इस दौरान उत्तरी-पूर्वी, पूर्वी-दक्षिणी, पश्चिमी-दक्षिणी और उत्तर-पश्चिमी दिशाओं से तेज हवाएं चल सकती हैं, जिनमें सापेक्ष आर्द्रता कम होगी।

किसानों को सलाह दी गई है कि वे मौसम और सिंचाई संबंधी इन निर्देशों का पालन करें ताकि फसल में होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

(Udaipur Kiran) / राजीव

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