RAJASTHAN

एडवाइजरी : अपने बैंक खाते का विवरण और दस्तावेज किसी व्यक्ति को ना दें, आकर्षक ऑफर्स से बचें

पुलिस मुख्यालय की साइबर शाखा ने किया आगाह

जयपुर, 21 मई (Udaipur Kiran) । म्यूल अकाउंट साइबर ठगी का एक प्रमुख तरीका है। जिसमें साइबर अपराधी ठगी के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए किसी और व्यक्ति के बैंक खाते का इस्तेमाल करते हैं। जिससे वे खुद सीधे तौर पर पकड़े जाने से बच सके। इस संदर्भ में पुलिस मुख्यालय की साईबर शाखा ने एडवाइजरी जारी की है कि अपने बैंक खाते का विवरण और दस्तावेज किसी अन्य व्यक्ति को ना दें और आकर्षक ऑफर्स से बचें। ऐसा नहीं करने पर संबंधित खाताधारक भी जिम्मेदार होगा।

महानिदेशक पुलिस, साइबर क्राइम हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने एवं आमजन में साइबर जागरूकता लाने के उद्देश्य से राज्य में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश में साइबर अपराधियों द्वारा गरीब, बेरोजगार एवं आमजन को कमीशन का प्रलोभन एवं लालच देकर उनके बैंक खातों को किराये पर लेकर इन म्यूल अकाउंट को साइबर अपराध से अर्जित धन राशि को जमा या ट्रांसफर के लिए उपयोग में लिया जा रहा हैं जिसके परिणामस्वरूप उक्त खाताधारक भी अज्ञानतावश व लालच-वश साइबर अपराधों में लिप्त हो जाते है।

डीजी प्रियदर्शी ने बताया कि प्रदेश में साइबर अपराध के विरूद्ध जीरो टॉलरेन्स की नीति के तहत साइबर अपराधियों तथा म्यूल अकाउंट धारकों पर सतत् विधिक कार्रवाई जारी हैं। आमजन से अपील हैं कि किसी प्रलोभन, कमीशन व लालच में अपना बैंक अकाउंट किसी अन्य व्यक्ति को उपयोग लेने के लिए नहीं दें अन्यथा साइबर अपराध में प्रयुक्त खाताधारक भी जिम्मेदार होगा।

प्रियदर्शी ने बताया कि म्यूल अकाउंट खोलने में लिप्त बैंक शाखाओं का चिह्नीकरण कर केवाईसी वेरिफिकेशन में लापरवाही बरतने वाले बैंक कार्मिको की अपराधिक जिम्मेदारी भी तय की जाकर विधिक कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि पुलिस मुख्यालय की साइबर शाखा द्वारा इस संबंध में प्रदेश के सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को सरकारी कार्यालयों व पुलिस थानों में पम्पलेट व होर्डिंग्स के जरिये आमजन में संदेश प्रसारित करने तथा पुलिस मित्र, महिला सुरक्षा सखी, साइबर वॉलिन्टियर, सीएलजी सदस्य इत्यादि की सहभागिता से कार्यक्रम आयोजित कर आमजन में साइबर जागरूकता के लिए निर्देशित किया गया है।

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(Udaipur Kiran)

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