जयपुर, 26 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रतिकूल पुलिस सत्यापन रिपोर्ट अपने आप में किसी नागरिक को पासपोर्ट प्राप्त करने के उसके कानूनी अधिकार से वंचित नहीं कर सकती। इसके अलावा पासपोर्ट प्राधिकरण पुलिस की प्रतिकूल सत्यापन रिपोर्ट मानने के लिए ही बाध्य है। इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार और पासपोर्ट अधिकारी को कहा है कि वह याचिकाकर्ता के पासपोर्ट नवीनीकरण का प्रार्थना पत्र 8 सप्ताह में तय करे। हालांकि अदालत ने पासपोर्ट विभाग को छूट दी है कि यदि मामले में कुछ प्रतिकूल मिले तो वे विधिनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं। जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश सावित्री शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक को उसके पासपोर्ट प्राप्त करने या नवीनीकरण करने के कानूनी अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्णय केवल पासपोर्ट प्राधिकरण की ओर से ही लिया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राकेश चंदेल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का पासपोर्ट मई, 2022 तक वैध था। ऐसे में उसने पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए विभाग में आवेदन किया, लेकिन पुलिस सत्यापन जांच रिपोर्ट में संदेह होने पर उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए पासपोर्ट नवीनीकरण का आग्रह किया गया। जवाब में विभाग की ओर से अधिवक्ता मनजीत कौर ने बताया कि क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस, नई दिल्ली ने याचिकाकर्ता की पुलिस सत्यापन जांच करवाई थी। इसमें उसकी राष्ट्रीयता संदेहपूर्ण व नेपाली आई इै। इस रिपोर्ट पर ही उसके पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं किया। इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके दादा नेपाल में रहते थे, लेकिन याचिकाकर्ता का जन्म भारत में हुआ है। उसकी शादी 2017 में यहीं हुई है। उसके दो बच्चे हैं और वह भारत की नागरिक है। इसलिए केवल पुलिस की प्रतिकूल जांच रिपोर्ट पर उसके पासपोर्ट नवीनीकरण से मना नहीं कर सकते। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस जांच रिपोर्ट के प्रतिकूल होने मात्र से पासपोर्ट से वंचित नहीं करने को कहा है।
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(Udaipur Kiran)