Uttar Pradesh

एडीजे की बेटी ने किया कमाल, योगासन में बनाया इंटरनेशनल बुक आफ रिकॉर्ड्स

अपने परिवार और सर्टिफिकेट के साथ मोहिनी

कानपुर, 15 जनवरी (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर जब भारतीय विधा योग को वैश्विक पटल में मान्यता मिली तो अपर जिला न्यायाधीश (एडीजे) की बेटी मोहिनी राठौर इस कदर प्रभावित हुई कि उन्होंने योग को ही करियर बना लिया। उन्होंने योग की तमाम क्रियाओं में महारथ हासिल की और सलम्बा शीर्षासन कोणासन में इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाने में सफल रही। यह उपलब्धि उन्होंने ऑनलाइन सलम्बा शीर्षासन कोणासन की मुद्रा में खुद को 10 मिनट 57 सेकंड तक रोककर हासिल की है।

मूल रुप से ताज नगरी आगरा के रहने वाले रघुवीर सिंह राठौर कानपुर में बतौर एडीजे पद पर तैनात हैं। उनकी बेटी मोहिनी राठौर ने भारतीय विधा योग में ऐसा मुकाम हासिल किया कि अपने पिता के साथ-साथ शहर का नाम देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में रोशन किया है। मोहिनी ने सलम्बा शीर्षासन कोणासन की मुद्रा में खुद को 10 मिनट 57 सेकंड तक इंटरनेशनल बुक आफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। यह प्रतियोगिता ऑनलाइन बीते साल 15 दिसम्बर को हुई थी इसका परिणाम 31 दिसम्बर 2024 में आया था।

–पिता से सीखा प्राथमिक योग

मोहिनी ने बुधवार को सिविल लाइंस स्थित ऑफिसर्स कॉलोनी में प्रेस वार्ता कर बताया कि पिता जब न्यायिक कार्य में तनाव में होते थे तो वह लम्बे समय तक योग करते थे। यह देख परिवार संग हम भी योग करने लगे और प्राथमिक योग पिता से ही सीखा। योग जब पूरी तरह से मन लगने लगा तो इसी पर करियर बनाने को दृढ़ संकल्पित हो गई। इस दौरान कुछ समय के लिए आनलाइन क्लास भी लिया और बीते वर्ष 15 दिसम्बर को आनलाइन इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स प्रतियोगिता के लिए अवसर मिला। इस अवसर पर अपनी प्रतिभा से सलम्बा शीर्षासन कोणासन की मुद्रा में योग कर दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

–मानसिक और शारीरिक रुप से मजबूती के लिए जरुरी है योग

मोहिनी ने बताया कि स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई आगरा से ही हुई है। वर्तमान में वह इकोनॉमिक्स से पीएचडी भी कर रहीं हैं जो मार्च में पूरी भी हो जाएगी। इसके साथ ही वह पुणे स्थित स्वस्ति योगा सेंटर योग टीचर बनने का कोर्स भी कर रही है। जिसके लिए फरवरी महीने में परीक्षा भी होनी है। आगे उन्होंने बताया कि योगा करने का विचार उन्हें अपने पिता को देखकर आया। बचपन से ही उन्होंने पिता को योग करते देखा इसलिए वह अपने पिता को अपना रोल मॉडल मानती है। साथ ही उन्हें जो भी सम्मान मिला है। उसका हक़दार देश का हर एक युवा है। मेरी तरह हर एक युवा यदि दिन में केवल 15 मिनट योगा करे तो वह मानसिक और शारीरिक रुप से खुद को मजबूत कर सकेगा।

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(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap

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