मीरजापुर, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । अपर जनपद न्यायाधीश विनय आर्या ने बताया कि कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न सरकारी कार्यालयों, निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठनों और असंगठित क्षेत्र के निवारण के लिए निवारण निषेध एवं निदान अधिनियम-2013 कानून बना है। इसमें अपराधी को सजा हो सकती है। इस अधिनियम में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए नियुक्ता को जिम्मेदार बनाया गया है। इस अधिनियम का अनुपालन न करने वाले नियोक्ताओं पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। यह भी प्रावधनित किया गया है कि यदि कोई महिला जांच सम्पन्न होने के बाद दोषी के खिलाफ शिकायत दर्ज करना चाहती है तो नियोक्ता द्वारा पीड़ित महिला को सहायता प्रदान किया जाए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व जनपद न्यायाधीश अनमोल पाल के निर्देशानुसार मंगलवार को मां विंध्यवासिनी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न तथा स्वच्छता, मासिकधर्म और सेटरी नैपकिन के सन्दर्भ में आयोजित शिविर का शुभारम्भ अपर जनपद न्यायाधीश व सचिव डीएलएसए विनय आर्या एवं प्राचार्य डा विश्वजीत दास ने किया।
जागरूकता शिविर में विधिक विषय से सम्बन्धित जानकारी असिस्टेन्ट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल योगेश द्विवेदी एवं बालेन्दु बहादुर सिंह ने उपस्थित महिला अधिकारियों एवं छात्राओं को सम्बोधित किया। यौन उत्पीड़न, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के अन्तर्गत धाराओं को उल्लेख करते हुए और पीड़िता को लाभान्वित करने का विधिक जानकारी विस्तारपूर्वक दी।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा / शरद चंद्र बाजपेयी / आकाश कुमार राय