
जयपुर, 8 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि डिजीटल विकास के तेजी से बदलते युग में साइबर अपराध तेजी से बढ रहे हैं। सरकार की ओर से इसे रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं, लेकिन अब और अधिक गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। अदालत ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से लोगों का डेटा बेचा जा रहा है और साइबर अपराधी उसका उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में इन कंपनियों सहित अन्य आरोपियों पर कडी कार्रवाई की जाए। अदालत ने कहा कि आरबीआई के परिपत्र के अनुसार सभी बैंकों को अपने ग्राहकों को वेबसाइट, फोन, एसएमएस, ई-मेल, आईवीआर, टोल-फ्री हेल्पलाइन आदि के माध्यम से चौबीस घंटे पहुंच प्रदान करने की सुविधा देना जरूरी है। जिससे ग्राहकों की शिकायतों का तुरंत जवाब दिया जा सके। अदालत ने वित्त विभाग और आरबीआई को आदेश की कॉपी भेजते हुए कहा कि ग्राहकों की मेहनत की कमाई की सुरक्षा के लिए उपाय किए जाए। वहीं अदालत ने आईडीबीआई बैंक को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता के खाते से निकल 58.93 लाख रुपए छह फीसदी ब्याज सहित अदा करे। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश राकेश तोतुका की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि उसका आईडीबीआई बैंक में खाता है। उसके खाते से 11 फरवरी, 2022 की रात 16 बार में 58.93 लाख रुपए की अनाधिकृत निकासी हो गई। जिसकी शिकायत उसने 13 फरवरी को कर दी। याचिका में कहा गया कि आरबीआई के 6 जुलाई, 2017 के परिपत्र के अनुसार अनाधिकृत निकासी के तीन कार्य दिवस में शिकायत होने पर ग्राहक की घटना को लेकर शून्य जिम्मेदारी हो जाती है। जिसके जवाब में बैंक की ओर से कहा गया कि लेनदेन को लेकर याचिकाकर्ता के पंजीकृत नंबर पर मैसेज गया था, लेकिन वह फेल हो गया। वहीं याचिकाकर्ता ने कोई ई-मेल नहीं दिया था। बैंकिंग लोकपाल ने 13 दिसंबर, 2022 को याचिकाकर्ता को 15.60 लाख रुपए देने के आदेश दिए थे। ऐसे में शेष राशि देने के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं है।
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(Udaipur Kiran)
