वाराणसी,23 अगस्त (Udaipur Kiran) । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर स्थित संगीत एवं मंच कला संकाय अपनी गौरवपूर्ण यात्रा के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। इस विशेष अवसर पर शुक्रवार को संकाय की ओर से आयोजित कौस्तुभ जयंती समारोह का उद्घाटन कुलपति प्रो.सुधीर कुमार जैन ने किया।
कार्यक्रम में संगीत व कला के पुरोधा पंडित चितरंजन ज्योतिषी,पंडित साजन मिश्र ,पंडित राजेश्वर आचार्य,पंडित शिवनाथ मिश्रा,डॉ प्रेम चंद्र होम्बल,पंडित रित्विक सान्याल को कुलपति प्रो. जैन ने कौस्तुभ रत्न सम्मान से सम्मानित किया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. जैन ने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए 75 वर्ष पूरे करना एक बड़ी उपलब्धि के साथ गौरव का विषय है। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि गर्व की इस अनुभूति के बीच अगले 75 वर्ष की कार्य योजना भी तय की जाए। कुलपति ने कहा कि इस संकाय ने विश्व को अनेक ऐसी विभूतियां दी हैं, जिन्होंने भारत की प्रतिष्ठा को नए शिखर पर पंहुचाया है। संगीत एवं मंच कला संकाय ने न सिर्फ संगीतज्ञों व कलाकारों को निखारा है, बल्कि अन्य विषयों में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के जीवन को भी प्रभावित किया है।
भारत रत्न प्रो. सी. एन. आर. राव का ज़िक्र करते हुए कुलपति ने कहा कि एक महान वैज्ञानिक होने के साथ साथ इस संकाय में मिली संगीत की शिक्षा ने उनके जीवन को काफी प्रभावित किया। विशिष्ट अतिथि संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली, की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने कहा कि भारत की संस्कृति व महान गुरू शिष्य परंपरा की धरोहर को जिस प्रकार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा संगीत व मंच कला संकाय ने संजो कर रखा है, वह अद्भुत व अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि 75 वर्षों की इस यात्रा में भारतीय कला व संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन बीएचयू एवं संकाय के योगदान से ही संभव हो पाया है। कार्यक्रम में गायन विभाग की अध्यक्ष व संकाय प्रमुख प्रो. संगीता पंडित ने अतिथियों का स्वागत कर संकाय के 75 वें वर्ष के प्रारंभ होने पर संकाय की सांगीतिक यात्रा को बताया।
—विद्यार्थियों ने रागाधारित बंदिशों की प्रस्तुति की
कार्यक्रम में छात्राओं ने पंडित ओंकारनाथ ठाकुर रचित शिव संकल्पमस्तु की प्रस्तुति की। गायन विभाग के विद्यार्थियों ने रागाधारित बंदिशों की प्रस्तुति की। राग पटदीप में निबद्ध अनहद बाजे ,री सखी सुनहुं पियारे, राग मियां मल्हार ,द्रुत एकताल में तराना की प्रस्तुति लोगों को आनंदित करती रही।
दूसरी प्रस्तुति वाद्य वृंद ने भी प्रशंसा बटोरी।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी / बृजनंदन यादव