लखनऊ, 16 सितम्बर (Udaipur Kiran) । लखनऊ विश्वविद्यालय के 67वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर राज्यपाल व विवि की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने सभी विद्यार्थियों को दिल से बधाई दी। राज्यपाल ने विद्यार्थियों की असाधारण उपलब्धियों की सराहना की। विशेष रूप से पुरस्कार समारोह को उजागर किया जिसमें 106 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये उपलब्धियाँ भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता में विश्वास पैदा करती हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि जिन विद्यार्थियों ने अपने माता-पिता से पुरस्कार प्राप्त किए। उन्होंने असाधारण समर्पण और उत्कृष्टता प्रदर्शित की है।
राज्यपाल ने प्रारंभिक उम्र से ही रचनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, यह देखते हुए कि प्राथमिक स्कूल के बच्चे भी अद्वितीय प्रगति दिखा रहे हैं। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्राथमिक शिक्षकों की भूमिका राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण है और उन्होंने शहर में विशेषकर सूचना और क्वांटम प्रौद्योगिकी में हो रही प्रगति की सराहना की। ये नवाचार अपेक्षाओं को पार करेंगे और भारत के लिए एक नए युग का आगमन करेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि भविष्य की प्रगति व्यक्तिगत देशों के बीच प्रतिस्पर्धा द्वारा नहीं बल्कि राष्ट्रों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों द्वारा परिभाषित होगी। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को मनाने और साझा करने के प्रति समर्पण की सराहना की। शिक्षा, विशेषकर लड़कियों के लिए, के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उन विद्यार्थियों को बधाई दी जिन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किए और विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों के मार्गदर्शन और समर्थन की सराहना की।
उन्होंने प्रधानमंत्री की योजनाओं के तहत प्राप्त ₹100 करोड़ के समर्थन का भी उल्लेख किया, जो विश्वविद्यालय में शोध और विकास के लिए उपयोग किया जाएगा। राज्यपाल जी ने डॉ. विजय पांडुरंग भटकर के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया और शिक्षा में कुशल मार्गदर्शन की आवश्यकता पर बल दिया।
राज्यपाल ने स्नातकों को अपने ज्ञान का सार्थक और सकारात्मक तरीके से उपयोग करने, समाजिक विकास और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन, प्रदूषण रोकथाम और सतत विकास जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए नवाचारपूर्ण समाधानों की आवश्यकता की बात की। उन्होंने महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को याद रखने की अपील की और अपने समुदायों और उससे आगे महत्वपूर्ण प्रभाव बनाने की दिशा में प्रयास करने की सलाह दी।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय