औरैया, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । दिबियापुर कस्बे के प्राचीन हनुमान मंदिर में भागवत कथा के आठवें दिन अचार्य गिरीश चंद्र द्विवेदी ने कंस वध की कथा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। मथुरा के राजा कंस ने पत्र देकर अकरूर को वृंदावन कृष्ण को लाने के लिए भेजा था ताकि उनका वध किया जा सके। बाबा नंद को ज्यों ही कंस द्वारा लिखा पत्र मिलता है तो वह कृष्ण, बलराम और बृजवासियों को लेकर मथुरा के लिए प्रस्थान करने को तैयार हो जाते हैं। तभी माता यशोदा कृष्ण जी को मथुरा जाने से रोकने का प्रयास करती हैं। तभी कृष्ण जी ने यशोदा जी को अपनी असली माता देवकी के बारे में सबकुछ बता देते हैं। तत्पश्चात, कृष्ण जी मथुरा जाने लगे। गोपियों द्वारा उनका रास्ता रोक लिया जाता है। अंततः गोपियां उनका मार्ग मथुरा के लिए कृष्ण द्वारा समझाने के बाद प्रशस्त कर देतीं हैं। मथुरा पहुंचकर श्रीकृष्ण ने कुब्जा के शरीर को खूबसूरत बनाने के बाद कंस के मदहोश हाथी को मारा, मल युद्ध में कंस के पहलवानों को परास्त कर देने के बाद अंत में कंस के बाल पकड़कर जमीन पर पटक कर प्राण ले लेते हैं। इस तरह कंस के बध के बाद कारागार में बंद अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव की बेड़ियां काटकर उनको मुक्त कर दिया। इस तरह क्रूर कंस का भगवान श्रीकृष्ण कृष्ण द्वारा अंत हुआ।
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(Udaipur Kiran) कुमार