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एबीवीपी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा  

एबीवीपी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा क्षेत्र में छात्रों को आ रही विभिन्न समस्याओं एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( 2020) के सफ़ल क्रियान्वयन के संदर्भ में विस्तृत ज्ञापन सौंपा। एबीवीपी ने अपने ज्ञापन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के महत्व पर जोर देते हुए इसके प्रभावी क्रियान्वयन और भारत के सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरित शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया है। साथ ही एबीवीपी ने केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा और निरीक्षण की मांग की है एवं शैक्षणिक संस्थानों को बहु-विषयक केंद्रों में उन्नत करने और शैक्षणिक सामग्री का अनुवाद भारतीय भाषाओं में विशेषज्ञ समितियों के माध्यम से कराने का सुझाव दिया है।

एबीवीपी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास जैसे ई-लाइब्रेरी और इंस्ट्रुमेंटेशन सेंटर को प्राथमिकता देने और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की तत्काल भर्ती की मांग की है।

इसके अलावा सीयूईटी काउंसलिंग प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने, पूर्वोत्तर क्षेत्र में परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने, छात्र प्रतिनिधित्व के साथ प्लेसमेंट सेल को मजबूत करने और इंटर्नशिप और सामाजिक परियोजनाओं में लगे छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का सुझाव दिया है। एबीवीपी ने उद्यमिता को बढ़ावा देने, इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने, शैक्षणिक संस्थानों की भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने और ‘नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन एक्ट’ लाने की भी सिफारिश की है, ताकि छात्र संघ के सीधे चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें और संस्थानों के निर्णय लेने में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो।

एबीवीपी ने ज्ञापन में शिक्षा के व्यवसायीकरण को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई है और निजी संस्थानों में हो रहे भ्रष्टाचार और दुराचार को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग की गई है। एनएएसी मान्यता के आधार पर दिए गए स्वायत्तता को वापस लेने की सिफारिश की गई है, ताकि अत्यधिक शुल्क और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ट्यूशन फीस वृद्धि को रोका जा सके।

इसके अलावा कोचिंग केंद्रों को सुरक्षित और कानून के अनुरूप बनाए रखने के लिए उनके नियमन की भी आवश्यकता बताई गई है। एबीवीपी ने अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में बढ़ती सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) के अनुसार छात्रवृत्तियों और फेलोशिप की संख्या बढ़ाने की मांग की है। इसमें यूजीसी पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप अधिसूचनाओं को समय पर जारी करने, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने वाले शोधार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पीएचडी शोधार्थियों के लिए गैर-नेट फेलोशिप की राशि को संशोधित करने की सिफारिश की है, जो 2011 से 8000 रुपये पर स्थिर है।

एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा, “भारत की शिक्षा व्यस्था राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने के बाद एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। इसलिए इसका प्रभावी क्रियान्वयन और इसके अंतर्गत प्रमुख मुद्दों का समाधान पूरे शिक्षा क्षेत्र के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके संदर्भ में आज हमने देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सामने विभिन्न विषय रखे एवं मंत्रालय से इन मुद्दों पर प्राथमिकता के साथ ध्यान देने का अनुरोध किया है। इसमें हमने प्रमुख रूप से सीयूईटी के लिए कॉमन काउंसलिंग एप्लीकेशन फॉर्म लाने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( 2020) के समीक्षा और निरीक्षण करने एवं शोधार्थियों की छात्रवृत्ति बढ़ाने जैसी मांगों को सम्मिलित किया।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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