राजीव-लौंगोवाल समझौते के अनुसार चंडीगढ़ पंजाब का हाेने का दिया हवाला
चंडीगढ़, 15 नवंबर (Udaipur Kiran) । चंडीगढ़ में हरियाणा की विधानसभा की नई इमारत निर्माण के लिए स्थान देने का पंजाब सरकार
ने विरोध किया है। पंजाब के वित्त मंत्री व आम आदमी पार्टी (आआपा) ने राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब का बताया। इस मामले
को लेकर पंजाब के वित्त मंत्री व आआपा नेता हरपाल सिंह चीमा ने शुक्रवार को पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन दिया।
राज्यपाल कटारिया से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि चंडीगढ़ के मुद्दे पर राज्यपाल व प्रशासक से मुलाकात की है। चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब की राजधानी है। ऐसे में हरियाणा को चंडीगढ़ में विधानसभा की नई इमारत बनाने का अधिकार नहीं है। जिस तरह इको सेंसटिव जोन को हटा दिया गया है, वह उचित नहीं है।
चीमा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने राज्यपाल को प्रस्ताव भेजकर 10 एकड़ जगह की मांग की थी और बदले में 12 एकड़ जमीन पंचकूला में देने की बात कही थी। उन्होंने प्रपोजल में मकसद नहीं लिखा है। हालांकि उसका मकसद यही है कि यहां पर हरियाणा की विधानसभा बनाई जाए। हमने इसके खिलाफ अपना प्रोटेस्ट दर्ज करवाया है। चंडीगढ़ पंजाब का है और हम एक भी इंच जमीन हरियाणा को देने को तैयार नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आज राज्यपाल को दिए गए ज्ञापन में उस एक्ट का भी हवाला दिया गया है, जब पंजाब और हरियाणा अलग हुए थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ संत लोंगेवाला का एक समझौता हुआ था, उसमें भी साफ कहा गया था कि चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब को ही मिलेगा। चीमा ने कहा कि पंजाब भाईचारे के लिए जाना जाता है। पंजाब गुरुओं पीरों की धरती है। जब हरियाणा से अलग हुए थे तो तय हुआ था कि हरियाणा अपना विधानसभा भवन बनाएगा। 60 साल बाद के पंजाब की राजधानी पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। हरियाणा जो जमीन देने की बात कर रहा है पंचकूला में उसी जमीन पर उसे अपनी विधानसभा का भवन बनवाना चाहिए। पंजाब के तीन करोड़ लोग चंडीगढ़ में हरियाणा को जमीन देने का विरोध करते हैं।
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(Udaipur Kiran) शर्मा