
कानपुर, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) । ‘….जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूं नहीं देते’। हसरत जयपुरी के इस कलाम को जब मशहूर ठुमरी व गजल गायिका डॉ. शालिनी वेद त्रिपाठी ने अपने अंदाज में प्रस्तुत किया तो खचाखच भरा प्रेक्षागार श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह मौका था नव वर्ष के आगमन पर ‘आग़ाज़ -2024’ के आयोजन का, जिसमें चुनिंदा मशहूर शायरों के कलामों को विभिन्न रागों के साथ प्रस्तुत किया गया।
शालिनी स्कूल एंड कल्चरल सोसाइटी के बैनर तले गुम होती जा रही गजल गायिकी को प्रोत्साहित करने के लिये इस खास गजल गायिकी का कार्यक्रम ‘आग़ाज-2024’ का आयोजन शनिवार को यूनाइटेड पब्लिक स्कूल के ऑडिटोरियम में किया गया। हसरत जयपुरी के कलाम के बाद डॉ. शालिनी ने जगदीश प्रकाश की लिखी सूफी गजल दीवाना बन दीवाना कर…. सुनाई। इसके बाद बशीर बदर का कलाम…कभी यूं भी आ मेरी आंख में, शकील बदायूंनी की…मेरे हमनफस मेरे हमनवा, जगदीश प्रकाश का कलमा …इश्क बस हो गया देखते देखते, जौन एलिया का कलाम …बेकरारी सी बेकरारी है, खुमार बाराबंकवी का कलाम…एक पल में एक सदी का मजा हमसे पूछिये, फारुक जायसी की कलाम…अपनी हस्ती को हमी राख बनाये हुये हैं, साहिर लुधियानवी का कलाम…तुम मुझे भूल भी जाओ और फैज का कलाम ….मेरा दर्द नगमा-ए-बेसेदा आदि गजलें पेश कर श्रोताओं को उनकी सीट से बांधे रखा।
महानगर में यह अपने तरह का अलग गजल का कार्यक्रम था। ‘आगाज’ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को गीत-संगीत की मुख्य धारा से जोड़ना और पीछे होती जा रही गजल गायकी को प्रोत्साहित करना था। तकरीबन दो घंटे के प्रोगाम ‘आगाज’ में ख्यातिप्राप्त शायरों के कलाम ख्यातिप्राप्त गजल व ठुमरी गायिका डॉ. शालिनी वेद त्रिपाठी ने प्रस्तुत किये। उनके अलावा एक नये उभरते स्थानीय गायक मोहित को भी मंच प्रदान किया जा रहा है।
डॉ. शालिनी ने कहा कि वर्तमान में गजले बहुत कम सुनी जा रही हैं, बहुत कम गाई जा रही हैं। गजलों को अपने पुराने कल्चर में लौटाने का यह एक प्रयास है। ‘आगाज’ में ज्यादातर गजलें रागों में और उनकी व्याख्या बताते हुये गाया गया। गायकी के दौरान श्रोताओं को इस जानकारी से अवगत कराया कि गजल किस किस राग पर आधारित है। इस तरह से यह एक एजूकेशनल प्रोगाम भी रहा।
तबले पर डॉ. निशांत, सारंगी पर जीशान खान, हारमोनियम पर राजकुमार सिंह, कीबोड सिंथेजाइजर पर ऋषिराज और पैड पर रोशन ने बखूबी संगत की। इस मौके पर डॉ. वेद प्रकाश त्रिपाठी, डॉ रीता वर्मा व प्रो. डॉ. इन्द्र मोहन रोहतगी मौजूद थे। कार्यक्रम का सफल संचालन रुपीना मिश्रा ने किया।
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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह
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