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—उमरहा नवग्रह मंदिर परिसर में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का दिखा संगम
वाराणसी,03 फरवरी (Udaipur Kiran) । भक्ति मार्ग संप्रदाय की संत स्वामिनी विश्वमोहिनी ने कहा कि भक्ति केवल साधना नहीं, बल्कि जीवन का सार है। उन्होंने भक्ति को एक विस्तृत अनुभव बताया और कहा कि यह केवल मंदिर जाने, पूजा करने या मंत्र जाप करने तक सीमित नहीं है, बल्कि ईश्वर की निरंतर उपस्थिति का अनुभव करना और अहंकार से मुक्त होकर समर्पित भाव से जीना ही सच्ची भक्ति है।
स्वामिनी विश्वमोहिनी सोमवार को उमरहां स्थित नवग्रह मंदिर में आयोजित प्रवचन में ज्ञान गंगा बहा रही थी। प्रवचन में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रवाह कर उन्होंने कहा कि सच्चा गुरु वही होता है, जो शिष्य को केवल बाहरी ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मबोध कराता है। उन्होंने कहा कि बिना गुरु कृपा के आध्यात्मिक उन्नति संभव नहीं है। गुरु का मार्गदर्शन हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर आत्म-प्रकाश की ओर ले जाता है। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रेम और समर्पण के बिना भक्ति अधूरी रह जाती है। जब कोई भक्त अपने अहंकार को छोड़कर, पूर्ण समर्पण की भावना से ईश्वर का स्मरण करता है, तभी उसे वास्तविक भक्ति का अनुभव होता है। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि वे नियमित ध्यान, साधना और नामस्मरण करें, जिससे मन शांत होगा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होगी।
भगवान शिव की महिमा पर प्रवचन
स्वामिनी के प्रवचन से पहले पंडित विष्णुकांत शास्त्री ने भगवान शिव की महिमा का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि शिव केवल संहार के देवता नहीं, बल्कि करुणा, प्रेम और तपस्या के प्रतीक भी हैं। उन्होंने महाभारत के कई प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि महाभारत केवल एक युद्ध कथा नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन करने वाला ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि शिव भक्ति से ही जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है। जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से शिव की आराधना करता है, तो उसके जीवन में किसी चीज़ की कमी नहीं रहती। प्रोफेसर राजेंद्र पांडेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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