Uttrakhand

बुग्यालों में बढ़ते संकट को लेकर आयोजित हुई विचार गोष्ठी

कुलसारी में बुग्याल बचाओ को लेकर गोष्ठी में मौजूद अतिथि।

गोपेश्वर, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran) । सीपी भट्ट पर्यावरण और संरक्षण केंद्र गोपेश्वर की ओर से बुग्यालों को बचाओे अभियाल को लेकर यात्रा निकाली जा रही है। बुधवार को यह यात्रा चमोली जिले के राजकीय इंटर कालेज कुलसारी पहुंची जहां पर बुग्यालों को बचाओं को लेकर एक गोष्ठी आयोजित की गई।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए बद्रीनाथ वन प्रभाग के वन क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल ने कहा कि बुग्याल ऊंचाई वाले चरागाहों के रूप में जाने जाते हैं, जो आज गंभीर संकट में हैं। प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता के लिए मशहूर ये बुग्याल, अब अनियंत्रित पर्यटन, जलवायु परिवर्तन, के कारण खतरे में हैं। जिसके लिए विभाग, स्थानीय समुदायों और पर्यावरणविदों ने इनके संरक्षण के लिए आवाज़ उठाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ क्षेत्रों में पर्यटन को नियंत्रित करने के कदम उठाए हैं, बुग्याल संरक्षण के लिए नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने और स्थानीय समुदायों के सहयोग से इन्हें संरक्षित करने की योजना बनाई जा रही है।

सीपी भट्ट पर्यावरण एवं संरक्षण के न्यासी ओम भट्ट ने कहा कि बुग्यालों का पारिस्थितिकीय संतुलन, जो हज़ारों वर्षों से स्थिर रहा है, हाल के दशकों में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। जिसका कारण बुग्यालों में बढ़ती पर्यटन गतिविधियों है। जिससे यहां के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव बढ़ा है और मानव हस्तक्षेप से यहां की भूमि क्षरण की स्थिति में है, वही दूसरा कारण जलवायु परिवर्तन है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग और बदलते मौसम के पैटर्न का भी बुग्यालों पर असर दिख रहा है। बर्फबारी के चक्र में बदलाव और अधिक बारिश से यहां की मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही इनकी सुरक्षा के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो बुग्यालों की प्राकृतिक स्थिति को बहाल करना मुश्किल हो जाएगा। सरपंच संगठन अध्यक्ष महिपाल सिंह ने कहा कि बुग्यालों का संरक्षण आज समय की मांग है। यदि हमने इन्हें अभी नहीं बचाया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अनमोल धरोहर को केवल किताबों में ही देख पाना संभव होगा। गोष्टी के बाद बुग्याल बचाओ दल के सदस्यों ने कुलसारी स्थित अम्बी स्मृति वन में पौधरोपण भी किया।

इस मौके पर समाजसेवी मंगला कोठियाल, प्रधानाचार्य शंकर दत्त कुनियाल, राकेश परमार, जागो हिमालय के निदेशक रमेश थपलियाल, भगत सिंह बिष्ट, विनय सेमवाल, सोम्या भट्ट, अक्षय सैनी आदि मौजूद थे।

(Udaipur Kiran) / जगदीश पोखरियाल

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