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एक राष्ट्र—एक चुनाव देश की स्थिरता और विकास के लिए एक आवश्यक पहल: मदन राठौड़

एक राष्ट्र—एक चुनाव देश की स्थिरता और विकास के लिए एक आवश्यक पहल: मदन राठौड़
एक राष्ट्र—एक चुनाव देश की स्थिरता और विकास के लिए एक आवश्यक पहल: मदन राठौड़

जयपुर, 18 अप्रैल (Udaipur Kiran) । ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ अभियान के डिजिटल संस्करण का लोकार्पण किया गया और एक विशेष क्यूआर कोड जारी किया गया है, जिसे स्कैन करके आम नागरिक अपने समर्थन को डिजिटल रूप से दर्ज करा सकते हैं। यह पहल जनभागीदारी को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने की दिशा में एक अभिनव प्रयास है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने बताया कि ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ केवल एक राजनीतिक विचार नहीं, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को सशक्त करने और शासन व्यवस्था को स्थिरता देने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस विचार का पुरजोर समर्थन करते हुए इसे समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया है।

मदन राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में बार-बार होने वाले चुनावों से न केवल आर्थिक संसाधनों की भारी बर्बादी होती है, बल्कि बार-बार लागू होने वाली आचार संहिता के कारण जनकल्याणकारी योजनाएं ठप हो जाती हैं। सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और प्रशासनिक तंत्र चुनावों में व्यस्त हो जाता है, जिससे विकास कार्य रुक जाते हैं और जनता को इसका सीधा नुकसान उठाना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1971 के बाद जब देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे, तबसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निरंतरता बाधित हुई है। अनुच्छेद 356 का कई बार दुरुपयोग कर राज्य सरकारों को गिराया गया, जिससे संघीय ढांचे को क्षति पहुंची है।

चुनावों की बारंबारता पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि देश में हर कुछ महीनों में कहीं न कहीं चुनाव चलते रहते हैं। इससे केंद्र और राज्य सरकारों का ध्यान विकास कार्यों से हटकर केवल चुनावी रणनीतियों पर केंद्रित हो जाता है। पुलिस, प्रशासन, शिक्षण संस्थान, यहां तक कि आम नागरिकों की दिनचर्या पर भी इसका असर पड़ता है।

‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’के लाभ बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो सरकारें पूरे पांच वर्षों तक स्थिरता के साथ कार्य कर पाएंगी। इससे नीति निर्माण में सुसंगतता आएगी, विकास योजनाओं की गति बढ़ेगी और संसाधनों की व्यापक बचत होगी। यह बचाए गए संसाधन शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और बुनियादी संरचना में लगाए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यह सुधार केवल सरकार या किसी राजनीतिक दल की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का सामूहिक दायित्व है। जब तक जनता का समर्थन और सहयोग नहीं मिलेगा, तब तक ऐसा कोई भी सुधार जमीनी स्तर पर सफल नहीं हो सकता।

राठौड़ ने नागरिकों, मीडिया, सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और लोकतांत्रिक संस्थाओं से अपील की कि वे इस पहल के प्रति जागरूकता बढ़ाएं, जनसमर्थन जुटाएं और इसे सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएं।

अंत में उन्होंने कहा कि ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘‘ देश को स्थिरता, सुशासन और समावेशी विकास की दिशा में आगे ले जाने का एक सुनहरा अवसर है, जिसे हम सभी को मिलकर साकार करना चाहिए।

इस अवसर पर ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘‘ अभियान के प्रदेश संयोजक सुनील भार्गव ने इस अभियान की प्रस्तावना रखते हुए स्पष्ट किया कि यह पहल राष्ट्र की स्थिरता, संसाधनों की बचत और नीति-निरंतरता के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इसके डिजिटल संस्करण के माध्यम से आम जनता क्यूआर कोड स्कैन कर अपना समर्थन दर्ज कर सकती है, जिससे व्यापक जनसहभागिता सुनिश्चित होगी। यह अभियान देश के लोकतंत्र को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।

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(Udaipur Kiran)

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