Bihar

समूह लोन चुकता न करने की वजह से बिखरा एक परिवार,गाजियाबाद में गृहस्वामी की मौत के बाद जमीन गिरवी रख शव लाया गांव

अररिया फोटो:मृतक परिवार के सदस्य

अररिया, 02 जून (Udaipur Kiran) ।

ग्रामीणों को स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए समूह लोन की शुरुआत की गई। लेकिन यह समूह लोन ग्रामीणों के गले का फांस बनती जा रही है। भोले भाले ग्रामीण स्वरोजगार के लिए समूह लोन तो ले ले रहे हैं।लेकिन किस्त की राशि समय समय पर अदायगी नहीं करने और ऋण दाता कंपनी के प्रतिनिधियों के द्वारा मिलने वाले धमकी और दवाब को लेकर वे घर छोड़कर दूसरे प्रदेश में जाकर मेहनत मजदूरी करने को विवश हो जाते हैं।

प्रदेश में किसी कारण से गृह स्वामी के मौत हो जाने के बाद पूरा परिवार बिखड़ जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है फारबिसगंज के किरकिचिया पंचायत के कटहरा गांव के वार्ड संख्या -3 से। जहां के रहने वाले 28 वर्षीय पवन चौहान पिता स्व सुरेन चौहान गांव में स्वरोजगार को लेकर अलग अलग तीन चार कंपनियों से समूह लोन के रूप में करीबन चार लाख का लोन लिया। लेकिन ली गई लोन की राशि और उसके किस्त के चुकता नहीं किए जाने की स्थिति में कंपनी के प्रतिनिधियों का दवाब उस पर पड़ने लगा। जिससे बचने के लिए पवन चौहान पूरे परिवार के साथ गांव छोड़कर गाजियाबाद चला गया।

पवन गाजियाबाद में दिहाड़ी मजदूरी का काम करने लगा।इसी क्रम में बीते 31 मई की रात गाजियाबाद में काम करके रात को वापसी के क्रम में रास्ते में उनकी अज्ञात लोगों से बहस हो गई,जो बाद में मारपीट में तब्दील हो गई और पवन चौहान उसमें घायल हो गया ।इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।मौत के बाद गाजियाबाद पुलिस को उसके जेब में एक कागज का टुकड़ा मिला। जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी का मोबाइल नंबर लिखे हुए था। लिखा मोबाइल नंबर पर फोन किया गया तो उसकी पत्नी को हादसे की पूरी जानकारी दी गई।

पोस्टमार्टम और कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को परिजनों को सौंप दिया। गाजियाबाद में अब विवश पत्नी के पास शव के अंतिम संस्कार या गांव लाने के लिए पैसे नहीं थे। फलस्वरूप गांव का आधा कट्ठा जमीन पर बने घर को ही 38 हजार में गिरवी रखकर किसी तरह शव को गांव लाकर उनका अंतिम संस्कार किया।

पवन चौहान चार भाइयों से था और भाइयों में वह सबसे बड़ा भाई था। गाजियाबाद में उसे गांव के कुछ लोग जो पहले से वहां मजदूरी करते थे,उन्हें काम पर रखवा दिया था। लेकिन समूह लोन से बचने के लिए गांव छोड़कर शहर गए पवन चौहान के मौत के बाद पूरा परिवार बिखड़ गया।

गांव के मुखिया प्रतिनिधि कफील अंसारी,पंचायत समिति सदस्य तांत्रिक चौहान, ग्रामीण सनोज चौहान,बबलू चौहान,उगन चौहान,दिलीप चौहान,गुड्डू यादव,मंटू यादव,चंदन यादव, मंजीत चौहान आदि ग्रामीणों इन बताया कि समूह लोन की किस्त की राशि नहीं चुका पाने को लेकर अभी भी गांव से 30 से 35 परिवार फरार हैं और दूसरे प्रदेशों में रहकर किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / राहुल कुमार ठाकुर

Most Popular

To Top